नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। एक अप्रत्याशित घटना के तहत केरल विधानसभा में भाजपा (BJP) के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल (O Rajagopal) ने भगवा पार्टी को असहज करते हुए सदन में उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें विवादित केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग गई है। हालांकि कुछ घंटों बाद बाद विधायक ने अपने रुख को बदलते हुए एक बयान में सदन में प्रस्ताव के विरोध की बात कही। इन तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले एक माह से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
केरल विधानसभा ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव
केरल विधानसभा के विशेष सत्र में बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रस्ताव रखा जिसे सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ), विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा के समर्थन से सर्वसम्मति से पारित किया गया। सत्र के बाद राजगोपाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। मैंने कुछ ङ्क्षबदुओ (प्रस्ताव में) के संबंध में अपनी राय रखी, इसको लेकर विचारों में अंतर था जिसे मैंने सदन में रेखांकित किया।’’ उन्होंन कहा, ‘‘मैंने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया।’’
सफरनामा 2020 : जेएनयू हिंसा, दंगों और कोरोना ने ली दिल्ली पुलिस की खूब अग्निपरीक्षा
जब राजगोपाल का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया कि प्रस्ताव में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है, तब भी उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कही। राजगोपाल ने कहा, ‘‘मैंने प्रस्ताव का समर्थन किया और केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि वह सदन की आम राय से सहमत हैं।’’ राजगोपाल ने कहा कि यह लोकतांत्रिक भावना है। जब राजगोपाल से कहा गया कि वह पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली है और हमें सर्वसम्मति के अनुरूप चलने की जरूरत है।
कांग्रेस का आरोप- बॉलीवुड को NCB के जरिये जानबूझकर डरा रही है मोदी सरकार
हालांकि, बाद में अपने रुख को बदलते हुए राजगोपाल ने बयान में कहा कि उन्होंने सदन में प्रस्ताव का मजबूती से विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘सदन में मैंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। मैंने न तो केंद्रीय कानूनों का विरोध किया और न ही केंद्र सरकार के खिलाफ गया। इन कानूनों से किसानों को बहुत फायदा होगा।’’ जब एलडीएफ और यूडीएफ सदस्यों ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री किसानों के साथ चर्चा नहीं कर रहे हैं। इसपर राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने रेखांकित किया कि किसान संगठन ऐसी किसी भी चर्चा से पहले कठोरतापूर्वक कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, विशेष सत्र के दौरान सदन में राजगोपाल ने चर्चा के दौरान कहा था कि नए कानून किसानों के हितों की रक्षा करेंगे और बिचौलियों से बचा जा सकेगा।
पूर्व नौकरशाहों ने यूपी को बताया ‘‘घृणा की राजनीति का केंद्र’’, गिनाए सिलसिलेवार मुद्दे
उन्होंने कहा कि जो इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं वे किसानों के खिलाफ खड़े हैं। राजगोपाल ने कहा कि नए कानून से किसानों की आया दोगुनी होगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनके केंद्रीय कानून के खिलाफ होने की खबर ‘आधारहीन’ है। उन्होंने प्रस्ताव का विरोध करने वाले और समर्थन करने वालों से स्पष्ट रूप से अलग-अलग नहीं पूछने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने थोडुपुझाथाट में पत्रकारों से बातचीत में यूडीएफ सरकार के प्रस्ताव की ङ्क्षनदा की और उसे बेतुका करार दिया। राजगोपाल के रुख पर सुरेंद्रन ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और उनसे बात करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र के कानून पर भाजपा में दो राय नहीं है।
किसान आंदोलन : अगले दौर की बातचीत में होगी मोदी सरकार की अग्नि परीक्षा
यहां पढ़े कोरोना से जुड़ी बड़ी खबरें...
PM मोदी की डिग्री पर केजरीवाल की पुनर्विचार याचिका हुई विचारार्थ...
CBI ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए SIT का किया गठन
भाजपा के लोग असुरों से कम नहीं : प्रोफेसर राम गोपाल यादव
RBI ने 1,514 शहरी सहकारी बैंकों के लिए 4 कदम उठाए
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आगामी AAP की 'महारैली' की तैयारियों में...
JNU परिसर में छात्राओं से छेड़छाड़, अपहरण की कोशिश के मामले में एक और...
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के पंजीकरण के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के...
दिल्ली पुलिस जांच के लिए महिला पहलवान को ले गई बृजभूषण के दिल्ली...
गोडसे को ‘देशभक्त' बताने पर भाजपा नेता त्रिवेंद्र रावत पर बरसी...
अंतरराष्ट्रीय रैफरी जगबीर बोले- महिला पहलवानों के प्रति बृजभूषण का...