नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। नेहरू और इंदिरा के बाद मोदी पूर्ण बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं। आज गुरूवार को देशभर में लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना अभी जारी है और अभी तक मिले रूझान बता रहे हैं कि मोदी की कमान में भगवा पार्टी 17वीं लोकसभा में पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 272 के आंकड़े तक आसानी से पहुंच जाएगी।
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PM Modi: Thank you India! The faith placed in our alliance is humbling & gives us strength to work even harder to fulfil people's aspirations.Salute every BJP Karyakarta for their determination, perseverance & hardwork.They went home to home, elaborating on our development agenda pic.twitter.com/ODnRq2HJIv — ANI (@ANI) May 23, 2019
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2014 में हुए आम चुनाव में भाजपा ने लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 282 सीटों पर जीत हासिल की थी। देश में आजादी के बाद 1951 .52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू करीब तीन चौथाई सीटें जीते थे । इसके बाद 1957 और 1962 में हुए आम चुनाव में भी उन्होंने पूर्ण बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी। चूंकि देश में आजादी के बाद 1951में पहली बार आम चुनाव हुए थे तो इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब पांच महीने का समय लगा था।
LIVE: Shri @AmitShah joins victory celebrations at BJP HQ. #VijayiBharat https://t.co/mnd1VvM6vc — BJP (@BJP4India) May 23, 2019
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हालांकि ये वो दौर था जब कांग्रेस की अजेय छवि थी और भारतीय जनसंघ, किसान मजदूर प्रजा पार्टी और अनुसूचित जाति महासंघ और सोशलिस्ट पार्टी जैसे दलों ने आकार लेना शुरू कर दिया था। 1951.52 चुनाव में कांग्रेस ने 489 सीटों में से 364 सीटों पर जीत हासिल की थी और उस समय पार्टी के पक्ष में करीब 45 फीसदी मत पड़े थे ।
अब अगर बात 1957 की करें तो नेहरू फिर से चुनाव मैदान में थे । देश एक कठिन दौर से गुजर रहा था क्योंकि प्रधानमंत्री नेहरू को 1955 में ङ्क्षहदू विवाह कानून पास होने के बाद पार्टी के भीतर और बाहर दक्षिणपंथी विचारधारा से लडऩा पड़ रहा था। देश में विभिन्न भाषाओं को लेकर भी एक विवाद छिड़ा हुआ था। इसका परिणाम यह हुआ कि 1953 में राज्य पुनर्गठन समिति के गठन के बाद भाषायी आधार पर कई राज्यों का गठन किया गया। खाद्य असुरक्षा को लेकर भी देश में अलग बवाल मचा हुआ था।
भारत माँ की सेवा में बना वो चौकीदार, भारत की शान बढ़ाने हम ले आए, फिर एक बार मोदी सरकार। #VijayiBharat pic.twitter.com/YOKqaXVs7P — BJP (@BJP4India) May 23, 2019
भारत माँ की सेवा में बना वो चौकीदार, भारत की शान बढ़ाने हम ले आए, फिर एक बार मोदी सरकार। #VijayiBharat pic.twitter.com/YOKqaXVs7P
लेकिन इन सारे विपरीत हालात के बावजूद नेहरू ने 1957 के चुनाव में 371 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की । कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी भी 1951 . 52 में 45 फीसदी से बढ़कर 47.78 फीसदी हो गयी। 1962 के आम चुनाव में भी नेहरू ने लोकसभा की कुल 494 सीटों में से 361 सीटों पर शानदार विजय हासिल की। आजाद भारत के 20 साल के राजनीतिक इतिहास में आखिरकार कांग्रेस पार्टी का जलवा बेरंग होना शुरू हुआ और वह छह राज्यों में विधानसभा चुनाव हार गयी। इन छह राज्यों में से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सबसे पहले हारी थी।
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लेकिन 1967 में नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी लोकसभा की कुल 520 सीटों में से 283 सीटें जीतने में कामयाब रहीं । आम चुनाव में इंदिरा गांधी की यह पहली जीत थी। 1969 में इंदिरा ने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया जिसे कांग्रेस (ओ) के नाम से जाना गया जिसकी कमान मोरारजी देसाई संभाल रहे थे। इसी दौर में इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया जिसने भारतीय मतदाताओं के एक बड़े हिस्से पर असर किया। इसी का नतीजा रहा कि इंदिरा गांधी 1971 के आम चुनाव में 352 सीटें जीत गईं।
अब 2010 और 2014 के दौर की बात करें जब संप्रग सरकार विभिन्न मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही थी । इसी दौरान भाजपा ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2014 के आम चुनाव में अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित कर दिया। देशभर में विकास के वादे के साथ नरेन्द्र मोदी 2014में 282 सीटों पर जीत के साथ अपना पहला आम चुनाव पूर्ण बहुमत के साथ जीतने में सफल रहे।
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