नई दिल्ली/ निशांत राघव। कोरोना बीमारी में लोगों को हुई तकलीफ के बाद अब केंद्र सरकार और स्थानीय सरकारें मिलकर ग्रीन व ब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की नीति तैयार करने में लगी है। इस मामले एक तरफ जहां केंद्रीय मंत्रालय ने विभिन्न स्तर पर प्रदूषण की रोकथाम को लेकर योजना बनाई है। वहीं उसके पालन में दिल्ली सरकार भी जुटी है। बताया जाता है कि मास्टर प्लान 2041 में भी इसे लेकर विशेष प्रावधान किये गए हैं ताकि प्राकृतिक नाले और यमुना किनारों पर ब्लू व ग्रीन वे, इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन के साथ-साथ सेहतमंद बनाने के नुस्खे पर काम किया जा सके।
मास्टर प्लान 2041 में विशेष प्रावधान पर रहेगा जोर
मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार इस योजना पर पहले से ही कार्य आरंभ कर दिया गया है। जिसके तहत दिल्ली में ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां बरसाती अथवा प्राकृतिक नाले रहे हों और यमुना किनारे जहां ग्रीन-ब्लू वे को विकसित किया जा सके।
अधिकारी का कहना है कि इससे न केवल प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में सहायता मिलेगी, बल्कि धरती की संपदा को भी बचाने और प्रदूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी। लोगों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए भी कई तरह की योजना तैयार की जा रही है।
एनआईयूए का मानना स्थानीय पौधे अधिक मददगार मास्टर प्लान 2041 को लेकर कार्ययोजना में जुटे एनआईयूए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्राकृतिक संपदा को बचाने और विकसित करने में विदेशी पौधों के स्थान पर स्वदेशी अथवा स्थानीय वनस्पति पर भी इन इलाकों में जोर दिया जाएगा। क्योंकि कुछेक ऐसे उदाहरण भी हैं जहां विदेशी पौधे प्राकृतिक संपदा अथवा जलस्रोत का अधिक दोहन करते हैं।
लोगों के सुझाव से तैयार होगा अंतिम ड्राफ्ट
डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि मास्टर प्लान 2041 में प्राकृतिक नालों और यमुना किनारे के इलाके में ग्रीन-ब्लू वे, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे प्राकृतिक संपदा का दोहन रुके। निर्माण में ग्रीन इंफ्रा पर जोर दिया जाएगा, जिससे निर्माण के दौरान धूल व अन्य कारणों से प्रदूषण न फैले। जल की शुद्धता के लिए भी विशेष नीति के तहत जैव विविधता पार्क को विकसित करने की योजना है।
यह है योजना -शहर में 4000 से अधिक प्राकृतिक नाले हैं। इनमें 200 प्राकृतिक नाले नजफगढ़, ट्रांस यमुना और बारापुल्ला के तीन जल निकासी बेसिन में फैले हुए हैं -ब्लू वे व यमुना से जुड़े स्थान 200 -बारापुल्ला और यमुना के समीप जल निकासी बेसिन में फैले हुए हैं -दिल्ली में झीलों, तलैया और तालाबों के रूप में 900 से अधिक जलाशय हैं। हालांकि प्रदूषण, अतिक्रमण और जलाश्यों के प्राकृतिक कारणों से सूखने के कारण पिछले एक दशक में ब्लू संपदा का क्षेत्र कम हो गया है
-दिल्ली में वजीराबाद से ओखला तक यमुना का 22 किलोमीटर का हिस्सा, जो नदी की लंबाई का 2 फीसदी से कम है। नदी को प्रदूषित करने में 70 फीसदी जिम्मेदार है -दिल्ली के चारों तरफ परिधि में हरित बफर होगा विकसित -वजीराबाद, साहिबाबाद, शाहदरा, इंद्रपुरी, तेहखंड सहित कुल 24 मुख्य नाले नदी में इन स्थानों पर गिरते हैं -यमुना नदी, जलाश्यों, बावलियों, झीलों में जल गुणवत्ता में सुधार करने का कार्य शुरु किया जा रहा है -कचरे के स्रोत स्थान पर उन्हें पृथककरण किया जाएगा -स्थानीय स्तर पर सिविक एजेंसियां आदि सार्वजनिक समारोह और त्योहार में उत्पन्न कचरे के प्रबंधन के लिए एक तंत्र विकसित करेंगी रिसाइक्लिंग व्यवस्था को विकास योजनाओं का हिस्सा बनाकर मुख्यधारा में शामिल करेंगे -जैव विविधता पार्क, इको पार्क, जलाश्यों के रूप में खराब अथवा डंपिग स्थान आदि को विकसित किया जाएगा
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