नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बम्बई उच्च न्यायालय ने कहा है कि 83 वर्षीय वरवर राव की नैदानिक (क्लीनिकल) रिपोर्ट से पता चलता है कि उन्हें निरंतर चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता नहीं है। उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद मामले के आरोपी वरवर राव की स्थायी चिकित्सा आधार पर जमानत के लिए याचिका 14 अप्रैल को खारिज कर दी थी।
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उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि इस तरह का सारांश राव के उद्देश्य के अनुरूप नहीं था इसलिए मेडिकल रिपोर्ट के निष्कर्षों पर विवाद किया जाना स्वाभाविक था। उच्च न्यायालय ने चिकित्सा आधार पर जमानत बढ़ाने के राव के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह का विश्लेषण करना अदालत का काम नहीं है।
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न्यायमूर्ति एस. बी. शुक्रे और न्यायमूर्ति जी. ए. सनप की पीठ ने 14 अप्रैल को राव की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, लेकिन विस्तृत आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कहा था कि राव का इलाज उनकी पसंद के अस्पताल में किया गया था और अब जब उन्हें वहां के डॉक्टरों द्वारा छुट्टी के लिए स्वस्थ माना गया, तो उनकी चिकित्सा जमानत बढ़ाने या उन्हें स्थायी चिकित्सा जमानत देने का कोई सवाल ही नहीं है। राव को पिछले साल फरवरी में बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा अस्थायी चिकित्सा जमानत दी गई थी।
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