नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जाने-माने मणिपुरी अभिनेता राजकुमार सोमेंद्र ने राज्य सरकार द्वारा ‘‘मौजूदा जातीय संघर्ष और दो छात्रों की नृशंस हत्या के मामले को सही ढंग से नहीं संभालने'' को लेकर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सोमेंद्र को 'काइकू' के नाम से भी जाना जाता है और वह लगभग 400 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जबकि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। इंफाल पश्चिम के थांगमेइबंद क्षेत्र के निवासी ‘काइकू' ने 2019 का लोकसभा चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और बाद में नवंबर 2021 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
'काइकू' ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘‘मेरी प्राथमिकता 'जनता पहले और पार्टी बाद में' है, इसलिए मैंने इस कठिन समय में जनता का साथ देने का निर्णय किया है।'' उन्होंने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि सरकार ने राज्य में पिछले चार महीने से अधिक समय से जारी अव्यवस्था को दूर करने के लिए अभी तक सक्रिय कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो, मैं यह सोचकर भाजपा में शामिल हुआ था कि पार्टी अपनी ‘डबल इंजन' सरकार के साथ हमारे राज्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।
बेशक, यह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के तहत पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव लायी। इसे ध्यान में रखते हुए, मैंने सोचा था कि केंद्रीय नेता मौजूदा मुद्दे पर तेजी से कार्रवाई करेंगे व संघर्ष को समाप्त करेंगे और उन पर भरोसा किया। हालांकि, ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेताओं का लोगों के दर्द और दुख पर कोई ध्यान नहीं है और वे लोगों की उम्मीद पर खरे नहीं हैं।'' 'काइकू' ने समाज के सभी वर्गों से मौजूदा स्थिति का स्थायी समाधान निकालने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मैंने भाजपा छोड़ दी है, अब मैं लोक व्यवस्था बहाल करने के लिए लोगों के अभियान में शामिल होने के लिए एक स्वतंत्र नागरिक हूं।'' आगामी लोकसभा चुनावों पर अभिनेता ने कहा, ‘‘चुनावी राजनीति पर मेरा कोई विशेष निर्णय नहीं है लेकिन मैं राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लोगों के साथ मिलकर काम करूंगा।''
अफस्पा मणिपुर संकट का हल नहीं है: इरोम शर्मिला मणिपुर के अधिकतर हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफस्पा) लागू किए जाने के एक दिन बाद अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि राज्य में जारी संघर्ष का हल ‘‘दमनकारी कानून'' से नहीं निकलेगा। शर्मिला को मणिपुर की ‘आयरन लेडी' के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार को विविधता का सम्मान करना चाहिए न कि समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के जरिए एकरूपता लाने की दिशा में काम करना चाहिए। मणिपुर में अफस्पा को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।
इंफाल घाटी के 19 थानों तथा पड़ोसी राज्य असम से सीमा साझा करने वाले एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। शर्मिला ने कहा, ‘‘ अफस्पा के दायरे में विस्तार राज्य में जातीय हिंसा अथवा अन्य समस्याओं का हल नहीं है। केन्द्र और मणिपुर सरकार को क्षेत्र की विविधता का सम्मान करना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न जातीय समूहों के मूल्यों, सिद्धांतों और प्रथाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा की दिलचस्पी समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के जरिए एकरूपता बनाने में अधिक है।''
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