Saturday, Mar 25, 2023
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चीन में फैलने वाली है नई बीमारी ‘ब्यूबोनिक प्लेग’, जानिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी

  • Updated on 7/6/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना महामारी के इस दौर में अभी चीन से कोरोना गया भी नहीं था कि वहां फिर से एक महामारी ने दस्तक दे दी है। बताया जा रहा है कि चीन के एक शहर में मानव प्लेग महामारी फैलने के संकेत मिले हैं। इस बारे में दो संदिग्ध मरीजों से लैब में पुष्टि हुई है।

इस पुष्टि के साथ ही चीन के इस शहर में चेतावनी जारी कर दी गई है। ये चेतावनी 2020 तक रहेगी और इसमें सभी नागरिकों को अपनी क्षमता के हिसाब से सुरक्षा बरतनी होगी। इस बीमारी यानि प्लेग की इस बीमारी को ब्यूबोनिक प्लेग कहते हैं।

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क्या है ये बीमारी
ये बीमारी चीन के नई नहीं है। इससे पहले भी ये बीमारी चीन को अपना शिकार बना चुकी है। साल 2009 से 2018 तक चीन में प्लेग के 26 मामले दर्ज किए गए हैं। इस बीच यहां 11 लोगों की मौत भी हुई है।

बीमारी के हैं दो रूप
ये बीमारी दो तरह की पाई जाती है या यूं कहें कि इसके दो मुख्य रूप हैं। एक है ब्यूबानिक और दूसरा न्यूमोनिक। ब्यूबानिक प्लेग की शुरूआत है और व्यक्ति को धीरे-धीरे अपनी चपेट में लेता है, इस बीच व्यक्ति को सूजन और दर्द काफी रहता है लेकिन जब ये प्लेग व्यक्ति के फेफड़ों में तेजी से फैलता है तब ये इसका दूसरा रूप बन जाता है।

क्या हैं इसके लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस बीमारी के होने पर अचानक बुखार आना, ठंड लगना, सिर और शरीर में दर्द और कमजोरी, उल्टी और मतली जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

ऐसे फैलती है ये बीमारी
ये बीमारी बैक्टीरिया यर्सिनिया पेस्टिस जीवाणुओं के कारण फैलती है, जो आम तौर पर छोटे स्तनधारियों और उनमें रहने वाले पिस्सू में पाए जाने वाले एक जूनोटिक जीवाणु होते हैं। इस बीमारी की चपेट में आने के 7 दिनों के अंदर इसके लक्षण दिखाई देते हैं। ये बीमारी आमतौर पर पिस्सू के काटने से फैलती है और ये पिस्सू चूहों, खरगोशों और गिलहरियों में पाया जाता है।

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पुराना है इतिहास
बताया जाता है कि इस बीमारी को मध्य युग में ब्यूबोनिक प्लेग महामारी और 'ब्लैक डेथ' भी कहा जाता है। इस बीमारी ने यूरोप की आधी से ज्यादा आबादी को अपना शिकार बनाया था। उस समय दवाएं नहीं थी लेकिन अब एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता होने के कारण इस बीमारी का काफी हद तक इलाज हो सकता है।

यहां भी फैली है ये बीमारी
इस बीमारी को एक दुर्लभ बीमारी माना जाता है। सिर्फ चीन में ही नहीं चीन के अलावा भी कई देश इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। जानकारी की अनुसार, 2010 से 2015 तक दुनिया भर में 3,248 मामले सामने आए हैं,  जिनमें से 584 मौतें शामिल हैं। वहीँ, अब इसके ज्यादातर मामले लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, मेडागास्कर और पेरू में देखने को मिलते हैं।

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