नई दिल्ली/टीम डिजिटल। किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुक्रवार यानी आज से संसद (Parliament) का बजट सत्र (Budget Session) शुरू हो रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) के अभिभाषण के साथ शुरू हो रहे सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।
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आठ अप्रैल तक चलेगा सत्र, 33 दिन चलेगी कार्यवाही बजट सत्र 29 जनवरी से आठ अप्रैल तक चलेगा, जिसमें 33 दिन कार्यवाही चलेगी। पूर्वाह्न 11 बजे राष्ट्रपति कोविंद दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे। लोकसभा की कार्यवाही राष्ट्रपति के अभिभाषण के समाप्त होने के आधा घंटे बाद थोड़ी देर के लिए होगी जिसमें आर्थिक सर्वेक्षण सदन में पेश किया जाएगा। संसद के बजट सत्र में कुल 12 बैठकें होंगी, जबकि अगला चरण आठ मार्च से शुरू होकर आठ अप्रैल को समाप्त होगा।
होंगी 21 बैठकें
इसमें कुल 21 बैठकें होंगी। टीकाकरण शुरू होने के बावजूद संसद के बजट सत्र की कार्यवाही कोविड-19 महामारी की छाया से मुक्त नहीं होगी। बजट सत्र में लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न चार बजे से रात नौ बजे तक चलेगी, जबकि राज्यसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे से दो बजे तक चलेगी।
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राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे 16 दल बता दें कि संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का 16 प्रमुख विरोधी दलों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इसकी अगुवाई कांग्रेस (Congress) कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि राजनीतिक दलों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का बयान जारी किया है। इसका प्रमुख कारण पिछले सत्र में विपक्ष की गैर मौजूदगी में कृषि संबंधित तीन कानूनों को सरकार द्वारा बलपूर्वक पारित कराना है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही शुक्रवार से बजट सत्र शुरू हो रहा है।
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मनमाने ढंग से लागू किया कृशि कानून- विपक्ष विपक्ष के संयुक्त बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को मनमाने ढंग से लागू किया है, जिससे देश की 60 प्रतिशत आबादी पर आजीविका का संकट पैदा हो गया है। इससे करोड़ों किसान और खेतिहर मजदूर सीधे प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 64 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और 155 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।
इन्होंने किए हस्ताक्षर आजाद के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, एनसीपी के शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, डीएमके के टी.आर. बालू, तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, शिवसेना के संजय राउत, सपा के राम गोपाल यादव, राजद के मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलावरम करीम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विस्वम, आईयूएमएल के पी. के. कुंझालीकुट्टी, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन, पीडीपी के नजीर अहमद लावे, मरुमलारची द्रविड मुनेत्र कषगम के वाइको, केरल कांग्रेस के थामस चाजीकदान और अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल ने हस्ताक्षर किए हैं।
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आम आदमी पार्टी ने भी की बहिष्कार की घोषणा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने निर्णय लिया है कि पार्टी के सभी राज्यसभा एवं लोकसभा के सांसद अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे। बयान में विपक्षी दलों ने सरकार पर किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देने और उनके आंदोलन के बारे में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसानों को लाठी, पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोले से जवाब दे रही है। एनडीए से अलग हो चुकी शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी बजट सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाईकाट करने का ऐलान किया है।
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