नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिवाली (Diwali) का त्योहार वैसे तो पूरे देश के ज्यादातर राज्यों में पिछले अक्टूबर माह में मनाया गया है। लेकिन हिमाचल (Himachal Pradesh ) के कुछ इलाकों में इसका जश्न अभी बाकी है। दरअसल सिरमौर के गिरिपार इलाके, शिमला के कुछ गांवों और कुल्लु के निरमंड में बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है। ये त्योहार 26 नवंबर को मनाया जाएगा। इस साल निरमंड का ऐतिहासिक बूढ़ी दिवाली मेला 26 से लेकर 29 नवंबर तक धूमधाम से मनाया जाएगा।
पहाड़ो में एक महिने बाद पहुंची खबर मान्यता है कि इन जगहो पर भगवान राम के अयोध्या पहुंचने की खबर एक महिने बाद मिली थी। कहा जाता है कि जब पहाड़ो में ये खबर सबको मिली तो वहां के लोगों ने देवदार और चीड़ की लकड़ियों को जलाकर रोशनी की और खूब नाच-गाना किया और अपनी खुशी जाहिर की। तभी से इन इलाको में बूढ़ी दिवाली मनाने की परंपरा चल रही है। लोग आज भी दिलाली की अगली अमावस्या को ये त्योहार मनाते है।
शिरगुल देवता की होती है गाथा लोग परोकड़िया गीत, विरह भयरी, रासा नाटियां, सवांग के साथ हुड़क नृत्य करके जश्न मानते हैं। कई इलाको में इस दिन आधी रात को बुड़ियात नृत्य भी करते हैं। इसके साथ ही लोग एक दूसरे को सूखे खाने जैसे मूड़ा, चिड़वा, शाकुली, अखरोट बाटकर बधाई देते हैं। इस त्योहार पर शिरगुल देवता की गाथा भी गीई जाती है। कई जगह तो इस त्योहार को एक हफ्ते तक मनाया जाता है।
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