नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुप्रीम कोर्ट आज इस मसले पर विचार करने को सहमत गया है कि क्या ‘ कमजोर दृष्टि’ की दिव्यांगता से पीड़ित शख्स को एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने और मरीजों का इलाज करने की इजाजत दी जा सकती है। इस बीमारी में आंखों की रौशनी को दुरूस्त नहीं किया जा सकता।
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जस्टिस उदय यू ललित और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के सामने यह पेचीदा सवाल आज उठाया गया। पीठ ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि क्या इस प्रकार की कमजोर रौशनी वाले व्यक्ति को डॉक्टर बनने और मरीजों का इलाज करने की इजाजत देना व्यावहारिक है।
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पीठ ने नीट -2018 की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले एक छात्र की याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किए हैं। इस याचिका में गुजारिश की गई है कि उसे कानून के मुताबिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जाए ताकि वह एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सके।
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कोर्ट ने कहा, 'अगर आप वकालत या शिक्षण जैसे किसी अन्य पेशे के बारे में बात करें तो समझ में आता है कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति सफलतापूर्वक इस क्षेत्र में काम कर सकता है, लेकिन जहां तक MBBS का ताल्लुक है तो हमें देखना होगा कि यह कितना व्यावहारिक और संभव है।'
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जस्टिस ललित ने एक नेत्रहीन इंटर्न के साथ अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि उसे दस्तावेजों को पढ़ने में दिक्कत होती थी और वह डिजिटल दस्तावेजों को पढ़ने और उन्हें समझने के लिए ब्रेल में परिर्वितत करता था। जस्टिस ललित ने कहा कि मेरे साथ सफलतापूर्वक अपनी इंटर्नशिप पूरी करने के बाद वह अब रोड्स स्कॉलर बन गया है और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहा है।
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अवयस्क छात्र पुरस्वामी आशुतोष की ओर से वकील संजय हेगडे और वकील गोविंद जी ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित 2016 के कानून में पहले से ही इस श्रेणी के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि केंद्र और गुजरात सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए । इस कानून के अंतर्गत आरक्षण के प्रावधानों को लागू किया जाए।
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इस पर कोर्ट ने कहा, 'शिक्षण और वकालत के पेशे के संदर्भ में कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब मेडिकल का सवाल आता है तो क्या ‘लो विजन’ की दिव्यांगता वाले व्यक्ति को इजाजत दी जा सकती है? इस पर हमे विचार करना होगा।'
पीठ ने छात्र को आज से 3 दिन के अंदर अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कालेज की समिति के सामने इस आदेश की कॉपी के साथ पेश होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 3 जुलाई के लिए निर्धारित की है।
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