नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पूरी दुनिया में अभी भी कोरोना का कहर बना हुआ है। भारत, अमेरिका, ब्राजील, चीन जैसे देश कोरोना के सबसे बुरे दौर से गुजरे हैं। जहां एक तरफ अमेरिका और भारत में कोरोना का प्रकोप बना हुआ है तो वहीँ चीन में एक बार फिर नई बीमारी दस्तक दे रही है।
चीन में फैली इस बीमारी को लेकर भारत अभी से सचेत हो गया है और इसे लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की है। चीन में फैली इस नई बीमारी का नाम कैट क्यू वायरस (CQV) है।
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कैट क्यू वायरस चीन में फैले इस वायरस को आर्थोपोड-जनित विषाणु की श्रेणी में रखा जाता है। ये वायरस मुख्य रूप से सूअर और क्यूलेक्स मच्छरों में पाया जाता है। हालिया दिनों में ये वायरस चीन और वियतनाम में तेजी से फैला है। रिसर्चर्स बताते हैं कि ये कैट क्यू वायरस तेज बुखार, दिमागी बुखार और मेनिनजाइटिस जैसे लक्षणों के साथ तेजी से शरीर में फैलता है।
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क्या है आईसीएमआर ने इस बारे में आईसीएमआर ICMR का कहना है कि भारत जिस स्थिति से गुजर रहा है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि ये नया वायरस भारत में आसानी से फैल सकता है। इस बारे में भारत के वैज्ञानिकों ने स्टडी की है जिससे ये पता चला है कि क्यूलेक्स मच्छरों जैसी प्रजाति भारत में पाई जाती है।
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वायरस की प्रकृति वैज्ञानिकों ने इस वायरस की प्रकृति को समझने के लिए एक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में रिसर्च कर पता किया है कि मॉलिक्यूलर और सेरोलॉजिकल जांच के लिए वैज्ञानिकों ने इंसानो, मच्छरों की तीन प्रजातियों और सूअरों से लिए सैंपल का टेस्ट किया था। जिसमें में वैज्ञानिकों को इंसानों में क्यूलेक्स मच्छरों का एक्टिव संक्रमण नहीं मिला। हालांकि 883 मानव सीरम सैंपल में से दो लोगों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली है जो ये बताते हैं कि इन दो लोगों को कैट क्यू वायरस से संक्रमण हुआ होगा।
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मच्छरों की प्रकृति इस सैंपल टेस्ट में वैज्ञानिकों ने एडीज एजिप्टी मच्छरों के साथ तीन अन्य प्रजातियों में भी ये वायरस पाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत के कुछ क्षेत्रों में मच्छरों से कैट क्यू वायरस फ़ैल सकता है।
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स्टडी की जरूरत वहीँ, इस मामले में शोधकर्ताओं का कहना है कि भारतीय आबादी में कैट क्यू वायरस के प्रसार को समझने के लिए अधिक और बड़े पैमाने पर डेटा कलेक्ट करने और उनपर शोध करने की जरूरत पड़ेगी। साथ ही इसके लिए अधिक सीरम सैंपल की जरूरत होगी ताकि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए जा सकें।
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