नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बालासोर रेल दुर्घटना मामले में कथित आपराधिक लापरवाही को लेकर मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ सीबीआई अधिकारियों की एक टीम सोमवार को ओडिशा के बालासोर जिले में पहुंच गई थी और मंगलवार दोपहर प्राथमिकी दर्ज करने के तुरंत बाद जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करना सीबीआई जांच का शुरुआती बिंदु है क्योंकि एजेंसी इसके बिना कोई दस्तावेज या सामग्री एकत्र नहीं कर सकती, गवाहों से पूछताछ नहीं कर सकती, बयान दर्ज नहीं कर सकती या तलाशी नहीं ले सकती।
अधिकारियों को प्रारंभिक जांच में ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम' के साथ छेड़छाड़ का संकेत मिलने और दुर्घटना के पीछे ‘‘तोड़फोड़'' की आशंका जताए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम' के जरिए ट्रेन की मौजूदगी का पता लगता है। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सीबीआई ने दो जून को ओडिशा के बाहानगा बाजार में कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी से जुड़ी दुर्घटना पर रेल मंत्रालय के अनुरोध, ओडिशा सरकार की सहमति और फिर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), भारत सरकार के आदेश पर मामला दर्ज किया है।''
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है। प्रक्रिया का पालन करते हुए, केंद्रीय एजेंसी ने तीन जून को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कटक द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337, 338, 304ए (लापरवाही के कारण हुई मौत) और 34 (समान मंशा), और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली।
प्राथमिकी में कहा गया है कि कई मौतें टक्कर और रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरने वाले तारों के टूटने से करंट लगने के कारण हुईं। अधिकारियों ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना में कोच के पलटने से बिजली के खंभे टूट गए और ओवरहेड तार नीचे गिर गए। प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस के मामले को अपनी प्राथमिकी के रूप में फिर से दर्ज करती है और जांच शुरू करती है। केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है। रविवार को, ओडिशा में पत्रकारों से बातचीत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ‘‘हमने हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है।''
रेलवे बोर्ड के सदस्य (ऑपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट) ने चार जून को केंद्र को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की थी। ओडिशा सरकार ने सोमवार को पत्र के जरिए सीबीआई को जांच करने की सहमति दे दी। दस्तावेजों के मुताबिक मंगलवार को डीओपीटी ने आखिरकार जांच शुरू करने के लिए सरकार की हरी झंडी देते हुए सीबीआई को अनिवार्य अधिसूचना जारी की, जिसके बाद एजेंसी कार्रवाई में जुट गई और दोपहर 2.15 बजे प्राथमिकी दर्ज की।
बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। देश के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में 278 लोगों की मौत हो गई और 1100 से अधिक घायल हो गए। विशेषज्ञों ने कहा है कि दोनों यात्री ट्रेन तेज रफ्तार में थीं, इस कारण से भी दुर्घटना में इतने ज्यादा लोग हताहत हुए।
सीबीआई जांच कराने की घोषणा सिर्फ 'हेडलाइन मैनेजमेंट' : कांग्रेस कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि बालासोर रेल हादसे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सरकार की घोषणा सिर्फ 'हेडलाइन मैनेजमेंट' है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने वर्ष 2016 में कानपुर के निकट हुए एक रेल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा कि उस मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक पता नहीं चल पाया कि उस जांच का नतीजा क्या निकला। उन्होंने दावा किया कि बालासोर रेल हादसे के मामले में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच का ऐलान कर दिया गया।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार की शाम घोषणा की थी कि बालासोर रेल हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की गई है। रमेश ने ट्वीट किया, "रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा बालासोर रेल हादसे के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई। यह कुछ और नहीं, बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है।'' उन्होंने कहा, "अब यह घटनाक्रम याद कीजिए। 20 नवंबर, 2016 को इंदौर पटना एक्सप्रेस कानपुर के निकट पटरी से उतर गई। इसमें 150 से अधिक लोगों की जान चली गई। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 23 जनवरी 2017 को केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर इस घटना की एनआईए जांच की मांग की। 24 फरवरी 2017 को प्रधानमंत्री ने कहा कि कानपुर ट्रेन दुर्घटना एक साजिश थी।"
रमेश ने दावा किया, ‘‘ 21 अक्टूबर 2018 को अखबारों में प्रकाशित खबरों में कहा गया कि एनआईए इस मामले में कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं करेगी। 6 जून, 2023 तक इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है कि कानपुर रेल हादसे पर एनआईए की अंतिम रिपोर्ट क्या है। कोई जवाबदेही नहीं।" एक दिन पहले, सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बालासोर रेल हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए इस मामले के सभी पहलुओं की जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था।
पत्र में उन्होंने कहा था कि सीबीआई की जांच से ‘तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं' की जवाबदेही तय नहीं हो सकती। उन्होंने पत्र में यह भी कहा कि सीबीआई रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है, वह अपराधों की छानबीन करती है। पूर्व रेल मंत्री खरगे ने आरोप लगाया था कि सरकार जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
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