नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने फलों और सब्जियों के निर्यात में कठिनाइयों को दूर करने के लिए ‘पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए' केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है।
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उन्होंने शनिवार को नवी मुंबई के सानपाड़ा में एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि केंद्र, किसानों के फलों और सब्जियों के निर्यात संबंधित दिक्कतों को अनदेखी कर रहा है। इनमें विशेष रूप से प्याज की फसल है, जिसे घरेलू स्तर पर अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिए निर्यात की आवश्यकता है।
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उन्होंने राजमार्गों और एक्सप्रेसवे, रेल मार्गों एवं हवाई अड्डों जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में वृद्धि की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। पवार का दावा है कि इन सभी ने कृषि उद्योग पर दबाव डाला है।उन्होंने कहा, ''केंद्र को कृषि के आधुनिकीकरण के लिए सहयोग करना चाहिए। फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन इसके निर्यात में बाधाएं हैं, जिस पर केंद्र ध्यान नहीं दे रहा है।''
खुश हूं लेकिन कोश्यारी को बहुत पहले हटा देना चाहिए था राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जाने से महाराष्ट्र राहत में है लेकिन केंद्र द्वारा यह फैसला काफी पहले ले लिया जाना चाहिए था। उन्होंने मांग की कि कोश्यारी ने अगर कोई असंवैधानिक फैसले लिए हैं तो उसकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने नागपुर में पत्रकारों से कहा, ‘‘महाराष्ट्र अब राहत में है। यह बहुत अच्छा फैसला है लेकिन इसे काफी पहले ले लिया जाना चाहिए था। अपने इतिहास में महाराष्ट्र ने राज्यपाल के पद पर कभी ऐसा व्यक्ति नहीं देखा था। मैं केंद्र सरकार के फैसले से प्रसन्न हूं।''
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राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति में रविवार को कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोश्यारी के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। कोश्यारी की जगह झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने ली है। पवार ने कहा, ‘‘कोश्यारी ने जो भी फैसले लिए हैं जो संविधान के खिलाफ हैं उनकी उचित जांच होनी चाहिए।''
80 वर्षीय कोश्यारी पर विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाथों ‘खेलने' का आरोप लगाया था, जब उन्होंने 23 नवंबर, 2019 को सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ दिलाई थी, जिससे विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों द्वारा सरकार बनाने में विफल रहने के बाद लगाया गया राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया था। हालांकि, फडणवीस-अजित पवार के नेतृत्व वाली सरकार महज तीन दिन चली थी।
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