नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल के नेता एवं विधायक मुकुल रॉय को प्रदत्त ‘जेड’ श्रेणी की वीआईपी सुरक्षा उनसे वापस ले ली गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि रॉय कुछ दिन पहले भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में वापस आ गए थे। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को 67 वर्षीय रॉय की सुरक्षा में तैनात जवानों को वापस बुलाने का निर्देश दिया है। रॉय और उनके पुत्र शुभ्रांशु पिछले हफ्ते कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए। सूत्रों ने बताया कि भाजपा के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव जीतने वाले रॉय ने केंद्र को पत्र लिखकर सुरक्षा हटाने को कहा था जिसके बाद यह फैसला लिया गया।
2017 में तृणमूल कांग्रेस से हुए थे अलग इससे पहले 2017 में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटाए जाने के बाद रॉय ने पार्टी छोड़ दी थी और नवंबर 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद उन्हें केंद्रीय अद्र्धसैनिक बल सीआरपीएफ की वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी जो इस साल मार्च-अप्रैल में पश्चिम बंगाल में विधानसभा से ठीक पहले बढ़ाकर जेड श्रेणी की कर दी गई थी।
रॉय जब भी पश्चिम बंगाल में कहीं जाते थे तो हर बार उनके साथ सीआरपीएफ के 22-24 सशस्त्र कमांडो का जत्था होता था। सूत्रों ने बताया कि रॉय के पुत्र को सीआईएसएफ की कम श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, वह भी वापस ले ली गई है। अब रॉय और उनके बेटे को राज्य पुलिस सुरक्षा दे रही है।
रिश्वत के लेन-देन का आरोप बता दें कि हाल ही में रेलवे के एक पैनल की सदस्यता दिलाने के मामले में कथित रूप से रिश्वत के लेन-देन के आरोप में भाजपा नेता मुकुल रॉय की अग्रिम जमानत पर होगी सुनवाई, शुक्रवार को सुनवाई करेगा कलकत्ता हाईकोर्ट। गिरफ्तारी से रॉय को मिला संरक्षण बृहस्पतिवार आधी रात को समाप्त हो जाएगा। न्यायमूर्ति एस मुंशी और न्यायमूर्ति एस दासगुप्ता की पीठ ने कहा कि वह शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करेगी। पीठ के समक्ष गुरुवार को रॉय की अग्रिम जमानत याचिका आयी थी। रॉय को न्यायमूर्ति मुंशी ने 29 अगस्त को गिरफ्तारी से सप्ताह भर का संरक्षण प्रदान किया था।
लाखों रुपये की रिश्वत का आरोप रॉय ने भाजपा के मजदूर प्रकोष्ठ का स्थानीय नेता होने का दावा करने वाले बबन घोष के खिलाफ शांतु गांगुली द्वारा दर्ज कराये गये धोखाधड़ी के मामले में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। गांगुली ने प्राथमिकी में आरोप लगाया कि घोष ने रॉय का नाम लेकर जोनल रेलवे उपभोक्ता परामर्श समिति में उन्हें सदस्यता दिलाने का भरोसा जताया था और उनसे लाखों रुपये की रिश्वत ली थी। कोलकाता पुलिस ने 21 अगस्त को मामले में घोष को गिरफ्तार किया था जिसके बाद रॉय ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की मांग की।
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