Wednesday, Mar 22, 2023
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हर वर्ग को राहत देगा केंद्र सरकार का पैकेजः अनुराग ठाकुर

  • Updated on 6/30/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कोरोना की दूसरी लहर के बीच सोमवार को केंद्र सरकार ने एक और राहत पैकेज की घोषणा की। सरकार का मानना है कि इस राहत पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था को तो बल मिलेगा ही, गरीबों और छोटे-मझोले कारोबारियों तथा उद्यमियों को भी सीधा लाभ होगा। ताजा घोषित कोरोना राहत पैकेज पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर से नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी के अकु श्रीवास्तव ने बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-

नई राहतें किस तरह से लोगों को लाभ पहुंचा पाएंगी?
देश और दुनिया के सामने कोरोना ने बहुत सारी चुनौतियां खड़ी की हैं। इससे पार पाने में नरेंद्र मोदी ने जो नेतृत्व दिया, उससे हम कोरोना से अच्छी तरह लड़ पा रहे हैं। दूसरी ओर, आपदा में अवसर कैसे बने, आत्मनिर्भर भारत एक रास्ता इसमें देखा गया। पीपीई किट बनानी हो, वेंटिलेटर्स का निर्माण या कोविड वैक्सीन, मेक इन इंडिया के तहत हमने अपने देश में किया और देश और दुनिया की पूर्ति की। इस समय व्यापार करने वालों को पैसे की जरूरत थी। उनके लिए इमरजेंसी क्रेडिट लोन गारंटी स्कीम पिछले साल तीन लाख करोड़ की लेकर आए। इसमें से एक साल के अंदर 2 लाख 73 हजार करोड़ की मंजूरी दी जा चुकी है। इससे लोगों को अतिरिक्त कार्यशील पूंजी मिली। चार श्रेणी की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) दी। हर क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया। अब इसमें डेढ़ लाख करोड़ रुपए और जोडऩे का काम किया। इससे कारोबार करने के लिए लोगों को और धन उपलब्ध होगा। दूसरा, 15 हजार करोड़ स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने के लिए पिछले साल दिया गया था। 22232 करोड़ रुपए और मंजूर किए गए हंै बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के विस्तार और क्षमता विकास के लिए। इसके अलावा एक लाख दस हजार करोड़ रुपए हम गारंटी योजना के जरिए लाए हैं। पचास हजार करोड़ रुपए केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए है। कोई नया अस्पताल लगाना चाहता है। चिकित्सा केंद्र खोलना या लैब लगाना चाहता है। नया लगाएगा तो 75 फीसद और पुराने का विस्तार करेगा तो 50 फीसद तक दिया जाएगा। इस केवल 7.5 फीसद ब्याज है। बाकी 81 हजार करोड़ रुपए अन्य व्यवसाय के लिए। इसमें भी कैप किया है कि 8.5 फीसद ब्याज ही लिया जाएगा, जबकि बगैर गारंटी वाला ब्याज 10 से 11 फीसद है।

तीसरी लहर के खतरे की जद में बच्चों के ज्यादा होने की आशंका जताई जा रही है तो क्या इतना पैसा पर्याप्त होगा?
दो अलग-अलग योजनाएं हैं। 50 हजार करोड़ रुपए नए अस्पताल बनाने और विस्तारीकरण के लिए है। 22 हजार करोड़ अलग से है, जिसमें क्षमता विकास के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत दे रही है। आने वाले वक्त में इससे कोविड की लड़ाई लडऩे और बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने में मदद मिलेगी।
व्यापार, कारोबार को लेकर कोविड-1 और कोविड-2 में जितनी भी घोषणाएं हुईं, जमीनी स्तर पर पहुंच पाईं?
हम इसमें काफी सफल रहे। प्रधानमंत्री अन्न योजना दुनिया की सबसे बड़ी ऐसी योजना थी, जिसमें 80 करोड़ लोगों को पांच किलोग्राम गेहूं या चावल और दाल देने का काम किया गया। प्रवासी मजदूरों को भी दिया गया। इस साल भी नवम्बर तक के लिए इस योजना को बढ़ा दिया गया है। दूसरा, मुफ्त में टीकाकरण 18 से ज्यादा उम्र के लोगों को। 32-33 करोड़ लोगों का टीकाकरण अब तक हो चुका है। यह रिकॉर्ड है। तीसरी बात, व्यापारियों को मोरटोरियम दिया, उसका लाभ मिला। ईसीएजीएस योजना दी। इसमें 2 लाख 73 हजार करोड़ दे चुके हैं। पीएम केयर्स फंड से 1500 ऑक्सीजन प्लांट लगाना सुनिश्चित किया जा रहा है।  किसानों की गेहूं की खरीद पर रिकॉर्ड 83 हजार करोड़ रुपए खर्च किया गया।

दूसरे चरण की घोषणाएं व्यापारियों को कितना लाभ पहुंचा पाएंगी?
पहले तीन लाख करोड़ रुपए ईसीएलजीएस योजना से मिल रहा था। यह बीस फीसद अतिरिक्त कार्यपूंजी थी। 2 लाख 73 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुका है। सबने इसका लाभ उठाया। इसमें पहले दो फेज के लिए एक साल का मोरटोरियम पीरियड और चार साल में पैसे वापस करने थे। कुल पांच साल मिले। ईसीएलजीएस 3 और 4 में दो साल का मोरटोरियम और चार साल में पैसा वापस करने को दिया गया। कुल छह साल का समय मिला। बहुत सफल रही। दूसरा, इनकम टैक्स रिफंड रिकॉर्ड समय में मिला और टीडीएस कम काटे गए तो इससे वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो ज्यादा मिला।
मोरटोरियम को लेकर व्यापारियों की चाहत कुछ ज्यादा रही। इसके अतिरिक्त कुछ लाभ देने की कोई और संभावना है?
हमने आरबीआई से बात करके रिस्ट्रक्चरिंग का विकल्प दिया है। 50 करोड़ तक का ऋण जिसका है, वह अपने आप का रिस्ट्रक्चरिंग करा सकता है। इसमें लंबी अवधि मिल जाती है, पैसा वापस करने का। किश्त में बदलाव होता है। इसके अलावा सिडबी के जरिए 15 हजार करोड़ रुपए लघु, मझोले और सूक्ष्म  उद्योगों (एमएसएमई) के लिए दिया। उससे उन्हें अलग से बल मिल रहा है। 50 हजार करोड़ रुपए अस्पताल और बाकी सुविधाओं के लिए रेपो रेट पर दिया है। 4 फीसद पर पैसा मिलेगा।

एमएसएमई भारत की रीढ़ है। इसे और कैसे सुदृढ़ करने की योजना है?
हमारी सरकार ने एमएसएमई को मजबूत करने पर जोर दिया है। 59 मिनट में लोन स्वीकृत करने की योजना सफल है। नए उद्योग लगाने में मदद मिली। छोटे कारोबारियों के लिए मुद्रा योजना लाए। इसमें से 15 लाख 86 हजार करोड़ रुपए दिया जा चुका है। स्टैंडअप इंडिया में हजारों करोड़ रुपए देने से छोटे कारोबारी, उद्योगपति, कुटीर उद्योग मजबूत हुए।
मुद्रा योजना का लाभ जितनी आसानी से मिलना चाहिए था, उसमेंकुछ दिक्कतें आईं। कोई सुधार कर रहे हैं?
जब भी कोई योजना शुरू करते हैं,कुछ दिक्कतें आती हैं। सभी जानते हैं कि कई बार प्रोजेक्ट रिपोर्ट ठीक नहीं हो तो बैंक थोड़ा ऐतराज करता है। लेकिन 15 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा इस योजना में बिना गारंटी के पैसे देना बड़ी बात है। स्वनिधि योजना में स्ट्रीट वेंडर को मदद दी गई।
 

59 मिनट की सिंगल विंडो योजना को और व्यापारियों के लिए आगे बढ़ाने की योजना है?
कोरोना ने एक तो दिखाया कि तकनीकी का बहुत लाभ है। बैंकों में हर किसी को न जाना पड़े। फिनटेक बड़ा साधन है ऋण मुहैया कराने में। 

एक्सपोर्ट यूनिट को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार की कोई योजना?
पिछले महीने में रिकॉर्ड एक्सपोर्ट हुआ। इसके साथ जो प्रोडक्शन लिंक इन्सेंटिव स्कीम लेकर आए हैं। मोबाइल उत्पाद में भारत पहले आयातक था, आज दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल उत्पादक की श्रेणी में हैं। प्रोडक्शन लिंक इन्सेंटिव स्कीम जो दस सेक्टर में है उसमें हजारों करोड़ रुपए का लाभ मिल रहा है।

डिफेंस के अलावा मेक इन इंडिया योजना और किस सेक्टर में लाई जा रही है और जीडीपी का कितना बड़ा योगदान देखते हैं?
हमने आयुध निर्माण कारखानों के निगमीकरण की शुरुआत की है। इससे 200 रक्षा उपकरणों का निर्माण करने की तैयारी है। इन उपकरणों का आयात रोक दिया गया है। 70 सालों में पहली बार यह होने जा रहा है। हिमाचल में भी बहुत बड़ा प्लांट डिफेंस से जुड़ा लगने जा रहा है। 

रोजगार के लिए कोई विशेष योजना?
रोजगार के भी कई पहलू हैं। रोजगार, स्वरोजगार, कारोबार तीनों ही विकल्प हैं। मुद्रा, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया से बड़ी संख्या में रोजगार मिले हैं। अभी एक बड़ी कंपनी ने अपनी एजीएम में कहा कि वह अपने रिटेल सेक्टर में लाखों रोजगार सृजित करने वाले हैं। इसी तरह तमाम नए सेक्टर भी अवसर दे रहे हैं। एग्रीकल्चर को भी लाभदायी और दोगुना आय करने की जो शुरुआत मोदी जी ने की है, वह भी बहुत बड़ी ताकत देगा। छोटे-छाटे आंत्रप्रन्योर गांव में खड़े हैं। वैल्यू एडिशन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स में की। स्टोरेज बढ़ाई इससे अनाज सड़ेगा नहीं।

जो युवा व्हाइट कॉलर जॉब करना चाहते हैं, उनके लिए क्या संभावना है?
बहुत सारे विकल्प हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर, वेस्ट टू एनर्जी, रिन्यूवेवल एनर्जी, हॉस्पिटैलिटी...। हॉस्पिटैलिटी में भारत आकर्षण का केंद्र बन रहा है। पहले पांच लाख आने वाले टूरिस्ट से वीजा शुल्क नहीं लिया जाएगा।  वहीं, माइंडसेट बदला है। अपना घर हो। छुट्टी जाना है। होम स्टे के लिए लोग पिछड़े क्षेत्र में जाना चाहते हैं। हर किसी की सोच बदली है। अपने स्वास्थ्य के प्रति बदलाव आया है। आउटपुट और अपनी क्षमता जानने-पहचानने का एक अवसर मिला है।
जीएसटी को लेकर व्यापारियों की शिकायत अभी भी है कि बहुत काम्लेक्स है। इसे लेकर क्या किया जा रहा?
सुधार की दृष्टि से ही वन नेशन, वन मार्केट लाया गया था। अलग-अलग रिटर्न अलग-अलग विभागों के लिए जो भरनी पड़ती थी, अब एक ही रिटर्न भरनी होती है। दूसरा, रिटर्न बहुत ज्यादा भरनी पड़ती थी, वह कम हुआ है। जीएसटी नेटवर्क में सुधार हुआ, जिससे अब दिक्कतें नहीं आती हैं। जीएसटी की जो चोरी करने वाले थे, उन पर कार्रवाई की गई तो जीएसटी रिकवरी भी बढ़ी है।

कैसे बढ़ा रहें इनकम टैक्स बेस?

आंकड़े देखेंगे तो जब हम सत्ता में आए तो उसमें जमीन-आसमान का अंतर है। ज्यादा इनकम टैक्स पेयर्स बढ़े। धीरे-धीरे जब लोगों में जागरूकता आएगी, यह विश्वास पैदा होगा कि देश के निर्माण में आयकर की अहम भूमिका है। उसी माध्यम से बहुत सारे गरीबों की वे मदद करते हैं, अपने देश के विकास में भागीदार बनते हैं। इसलिए मोदी जी कहते हैं कि टैक्स पेयर्स को हम नमन करते हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा योगदान करें ताकि गरीबों और देश का भला हो।

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