Thursday, Nov 30, 2023
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chandrayaan-2 launch delayed by technical problem

इस वजह से रुका मिशन चंद्रयान-2, ISRO ने बताए यह कारण

  • Updated on 7/15/2019

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत (INDIA) के महत्वाकांक्षी दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ (Chandrayaan-2) को रविवार देर रात लांचिंग(Launching) से थोड़ा पहले ही रोक देना पड़ा। इसरो ने ट्वीट किया,-‘लांचिंग से 56 मिनट पहले प्रक्षेपण यान प्रणाली (launch vehicle system में तकनीकी दिक्कत (Technical Fault) पाई गई। एहतियातन लांचिंग को आज के लिए रोक दिया गया है।’ इसरो ने कहा कि लांच विंडो के अंदर प्रक्षेपण संभव नहीं। प्रक्षेपण के अगले कार्यक्रम की घोषणा बाद में की जाएगी। जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती रविवार सुबह छह बजकर 51 मिनट पर शुरू की गई थी। तय कार्यक्रम के अनुसार देर रात दो बजकर 51 मिनट पर इसे उड़ान भरना था। 

अभी करना पड़ेगा और इंतजार
हिज्र की शब (जुदाई की रात) अब खत्म होने ही वाली थी और शब-ए-विसाल (मिलन की रात) आने वाली ही थी। शायर परवीन शाकिर की ये पंक्ति ‘हिज्र की शब और ऐसा चांद’ को बदलकर ‘शब-ए-विसाल और ऐसा चांद’ गुनगुनाने के लिए लोग तैयार थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के वैज्ञानिक चांद से इस मिलन को साकार करने में जुटे थे। रात में जब देश के ज्यादातर लोग सो रहे थे, इसरो के वैज्ञानिक जगे हुए थे। रात के ठीक 2:51 बजे चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होनी थी, लेकिन 56 मिनट 24 सेकंड पहले अचानक आई तकनीकी समस्या के कारण लॉन्चिंग को रोक दिया गया। अब लॉन्चिंग की तारीख का ऐलान बाद में किया जाएगा। अगर यह प्रक्षेपण हो जाता तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश बनता। दक्षिणी ध्रुव पर काफी गड्ढे (क्रेट्र्स) हैं। चांद पर उतरने के अब तक कुल 38 प्रयास हुए हैं और सफलता की दर 52 फीसदी है। अब तक ज्यादातर लैंङ्क्षडग भूमध्य रेखा क्षेत्र के आसपास हुई है।

 

चंद्रयान अभियान के लाभ

  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की ख्याति बढ़ेगी
  • अंतरिक्ष में भारत के कदम आगे बढ़ेंगे
  • नई आर्थिक संभावनाएं पैदा होंगी
  • कई नई खोज भारत के नाम दर्ज होंगी
  • वैज्ञानिक जानकारियां बढ़ेंगी 

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चांद पर छोड़ेगा अशोकचक्र और इसरो की पहचान
चंद्रयान-दो अभियान चांद की सतह पर अशोक चक्र और इसरो की प्रतीक छाप भी छोड़ेगा। इसरो के मुताबिक चांद पर भेजे जा रहे रोवोर प्रज्ञान के एक पहिए पर अशोक चक्र और दूसरे पर इसरो का प्रतीक बना हुआ है। जब यह चांद पर चलेगा तो चांद की सतह पर ये प्रतीक छप जाएंगे। 

ऐसे चली तैयारी

  • 15 जुलाई : तड़के 2:51 बजे होनी थी लांङ्क्षचग, ऐन वक्त पर टली
  • 14 जुलाई : सुबह 06:51 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई, जीएसएलवी एमके-3 के तरल चरण के लिए प्रोपलेंट भरी गई, कोर स्टेज के लिए ईंधन यूएच-25 भरा गया
  • 12 जुलाई : लांङ्क्षचग की रिहर्सल की गई और प्रोपेलेंट टैंकों को भरने से पहले दबावानुकूलित किया गया
  • 11 जुलाई : लांच व्हीकल की बैटरी चार्ज की गई और लांङ्क्षचग संबंधि रुटीन जांच की गई
  • 10 जुलाई : ढंकने का काम पूरा, क्रायोजेनिक और लिक्विड चरण के नियंत्रण की जांच की गई
  • 9 जुलाई : ऊष्मा नियंत्रक, प्रेशर सेंसर, कनेक्टर केबल की जांच की गई
  • 8 जुलाई : फुल ड्रेस रिहर्सल की तैयारी
  • 7 जुलाई : रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 को लांच पैड पर लाया गया
  • 6 जुलाई : लांचपैड के  लिए लांचिंग व्हीकल तैयार
  • 5 जुलाई : लैंडर और ऑर्बिटर के लिंक चेक किए गए
  • 4 जुलाई : चंद्रयान-2 को लांच व्हीकल के साथ कैप्सूल में समायोजित किया गया
  • 2 जुलाई : चंद्रयान-2 को उपकरणों से लैस किया गया
  • 29 जून : रोवोर प्रज्ञान लैंडर विक्रम में पहुंचा और विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया
  • 3 जून : चांद पर लैंडिंग की चुनौतियों को जांचा गया
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