Saturday, Sep 30, 2023
-->
charges against former Mumbai Police Commissioner Parambir Singh withdrawn suspension

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर लगे सभी आरोप वापस लिए गए, निलंबन रद्द

  • Updated on 5/12/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर विभागीय कार्यवाही के दौरान लगाए गए सभी आरोप वापस ले लिए हैं और उनके निलंबन के आदेश को भी रद्द कर दिया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) सिंह के खिलाफ दर्ज पांच मामलों की जांच करना जारी रखेगा। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जबरन वसूली, भ्रष्टाचार और कदाचार के कई मामलों का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में पत्रकारों से कहा कि सिंह के खिलाफ विभागीय जांच को बंद करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले के बाद सरकार ने उनके निलंबन आदेश को रद्द करने का फैसला किया।

कैट के आदेश में कहा गया कि विभागीय जांच गलत थी। सरकारी अधिकारी ने कहा कि सिंह के निलंबन को रद्द करने और 2021 में शुरू की गई विभागीय जांच से संबंधित सभी आरोपों को वापस लेने का आदेश बुधवार को राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी किया गया। उन्होंने कहा कि आदेश के अनुसार, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी के निलंबन की अवधि को उनके ड्यूटी पर रहने के रूप में माना जाएगा। सिंह के खिलाफ मुंबई और ठाणे में जबरन वसूली से संबंधित कम से कम चार प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं। उन्हें दिसंबर 2021 में निलंबित कर दिया गया था। महाराष्ट्र में उस समय तीन दलों के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार थी।

उन्होंने अपने लंबे पुलिस करियर के दौरान मुंबई और ठाणे दोनों के आयुक्त के रूप में कार्य किया। उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास 'एंटीलिया' के पास विस्फोटकों से भरी एसयूवी मिलने के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाज़े की गिरफ्तारी किए जाने के बाद मार्च 2021 में सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद, 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक विस्फोटक पत्र लिखा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई के होटलों से एक महीने में 100 करोड़ रुपये इकट्ठे करने कहा था। वहीं, देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था।

तत्कालीन महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार ने सिंह को निलंबित कर दिया था और उनका वेतन रोक दिया था। आदेश में उल्लेख किया गया कि सरकार ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की और कार्यवाही के दौरान उनके खिलाफ आठ गंभीर आरोप लगाए गए। सिंह ने दिसंबर 2021 में ईमेल के माध्यम से अपना बचाव बयान प्रस्तुत किया था और सभी आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की थी जिसमें जांच को रद्द करने का आग्रह किया गया था लेकिन याचिका खारिज कर दी गई थी।

गृह विभाग के आदेश में कहा गया कि बाद में उन्होंने उच्चतम न्यायालय का रुख किया जिसने विभागीय जांच और सिंह के निलंबन के संबंध में कुछ टिप्पणियां कीं। सिंह ने कैट का भी दरवाजा खटखटाया, जिसने उनके खिलाफ आरोप दस्तावेज वापस लेने का फैसला किया। गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि तदनुसार आरोप दस्तावेज वापस ले लिया गया है और उक्त मामले को बंद किया जा रहा है। इस संबंध में एक अन्य आदेश में कहा गया कि सक्षम प्राधिकार द्वारा मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख के खिलाफ विभागीय जांच की कार्यवाही वापस लेने का निर्णय लिया गया है।

आदेश में कहा गया कि कैट के फैसले के मद्देनजर परमबीर सिंह के निलंबन आदेश को रद्द किया जाता है और दो दिसंबर 2021 से 30 जून 2022 तक की उनकी निलंबन अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए उनके ड्यूटी पर रहने के रूप में माना जाएगा। 

comments

.
.
.
.
.