Friday, Dec 08, 2023
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दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है छठ महापर्व 

  • Updated on 10/28/2022

नई दिल्ली। छठ पर्व का संबंध भले ही बिहार, यूपी या यूं कहें कि पूर्वांचल से है, मगर अब छठ पर्व न सिर्फ दिल्ली बल्कि मुंबई, कोलकाता, सूरत, अहमदाबाद, बंगलोर, जालंधर, गुवाहाटी, नेपाल, जम्मू सहित सम्पूर्ण भारत एवं विदेश में भी मनाया जा रहा है। अब छठ पर्व पुरबिया समाज का सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है और दिल्ली के सभी राजनीतिक दल भी छठ पर्व की गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं।

यूं तो साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री रहते हुए पूर्वांचली मतदाताओं का महत्व समझ आ गया था, उन्होंने शुरू में दिल्ली में 5 छठ घाटों को सरकारी घाट घोषित कर दिया था। दिल्ली में इस मुहिम में महाबल मिश्रा एवं लाल बिहारी तिवारी पूर्व सांसद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता है। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 1 अक्तूबर 2000 को भोजपुरी समाज दिल्ली के मंच से पहली बार छठ पर्व पर राजधानी में ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की थी। वह कार्यक्रम दिल्ली के द्वारका मैदान में हो रहा था।

तत्पश्चात वर्ष 2008 में मैथिली भोजपुरी अकादमी की स्थापना की घोषणा शीला दीक्षित द्वारा की गई। वर्ष 2011 में केन्द्र सरकार ने इस पर्व पर ऐच्छिक अवकाश घोषित किया एवं वर्ष 2014 में दिल्ली में राष्ट्रपति शासनावधि में उपराज्यपाल ने इस पर्व पर पहली बार दिल्ली में पूर्ण अवकाश की घोषणा की। शीला दीक्षित सरकार ने पूर्वांचली समाज की मांग पर छठ घाटों की संख्या बढ़ाकर 22 कर दी।

दिल्ली की राजनीतिक सत्ता की चाबी लगभग 30-35 प्रतिशत पूर्वांचली मतों के पास है। नि:संदेह शीला दीक्षित की सरकार ने छठ पर्व पर दिल्ली में स्वेक्षिक अवकाश घोषित कर इस त्योहार के सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक महत्व को रेखांकित किया था, इसके बाद भाजपा ने भी छठ और पूर्वांचल वोटों की महत्ता के आधार पर मनोज तिवारी जैसे पुरबिया नेता के हाथों में नेतृत्व दिया।

इस वर्ष 2022 में दिल्ली की आप सरकार ने 1100 घाटों के निर्माण, सुविधा और स्वच्छता के लिए 25 करोड़ की रकम घोषित की है, जो पिछली बार से भी बड़ी रकम है, वहीं दूसरी ओर भाजपा शासित एमसीडी ने भी दिल्ली के सभी वार्डो में साफ सफाई और अन्य सुविधाओं के लिए 40-40 हजार की रकम घोषित की है। ये छठ पर्व के बढ़ते विस्तार की झांकी है।

छठ पर्व अब दिल्लीवालों के लिए नया नहीं है। पिछली बार 131 स्थानों पर लोककलाकारों का सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया था दिल्ली सरकार द्वारा, उम्मीद है कि इस बार भी दिल्ली तीर्थ यात्रा महासंघ और मैथिली भोजपुरी अकादमी, साहित्य कला परिषद के सौजन्य से लोक कलाकार छठ गीतों से घाटों की रौनक को बढ़ाएंगे। दिल्ली सरकार प्रशासन और नगर निगम लगातार छठ महापर्व के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं यानी अब दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान बन गया है छठ का पर्व।

अजीत दुबेः लेखक साहित्य अकादमी के सदस्य हैं व मैथिली भोजपुरी अकादमी दिल्ली के पूर्व उपाध्यक्ष रहे हैं
 

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