नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन 45वें दिन भी जारी है। शुक्रवार को कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सरकार के साथ 8वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 11 जनवरी को सुनवाई होगी। इस बीच छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने केंद्र को सलाह देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले सरकार खुद इन कानूनों को रद्द करे दें।
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छत्तीसगढ़ के CM की केंद्र को सलाह सीएम भूपेश बघेल ने शनिवार को कहा, 'केंद्र सरकार किसानों को कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की सलह दे रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने का आदेश देता है तो सरकार को मानना पड़ेगा। इससे अच्छा है सरकार इन कानूनों को खुद ही रद्द कर दें।'
केंद्र सरकार किसानों को कृषि क़ानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की सलह दे रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को कृषि क़ानूनों को वापस लेने का आदेश देता है तो सरकार को मानना पड़ेगा। इससे अच्छा है सरकार इन क़ानूनों को खुद ही रद्द कर दें: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल pic.twitter.com/TTGwuRCVtd — ANI_HindiNews (@AHindinews) January 9, 2021
केंद्र सरकार किसानों को कृषि क़ानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की सलह दे रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को कृषि क़ानूनों को वापस लेने का आदेश देता है तो सरकार को मानना पड़ेगा। इससे अच्छा है सरकार इन क़ानूनों को खुद ही रद्द कर दें: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल pic.twitter.com/TTGwuRCVtd
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आठवें दौर की वार्ता रही बेनतीजा गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ओर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता बेनतीजा संपन्न हो हो गई। सूत्रों के मुताबिक अगली बैठक 15 जनवरी को हो सकती है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने शुक्रवार को सरकार से दो टूक कहा कि उनकी 'घर वापसी' तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लेगी। सरकार ने कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग खारिज करते हुए इसके विवादास्पद बिन्दुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर दिया।
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11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई सूत्रों ने बताया कि बैठक में वार्ता ज्यादा नहीं हो सकी और अगली तारीख उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है।
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40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ हुई वार्ता सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है। सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे थे।
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तोमर ने किसान संगठनों से की अपील उधर, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद बीते एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान तोमर ने किसान संगठनों से कानूनों पर वार्ता करने की अपील की जबकि संगठन के नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से पूरे देश के किसानों का हितों की रक्षा करने पर जोर दिया।
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एक दूसरे का समय बर्बाद करें सरकार- किसान नेता एक किसान नेता ने बैठक में कहा, 'हमारी 'घर वापसी' तभी होगी जब इन 'कानूनों की वापसी' होगी।' एक अन्य किसान नेता ने बैठक में कहा, 'आदर्श तरीका तो यही है कि केंद्र को कृषि के विषय पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया गया है। ऐसा लग रहा है कि आप (सरकार) मामले का समाधान नहीं चाहते हैं क्योंकि वार्ता कई दिनों से चल रही है। ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए। हम चले जाएंगे। क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें।'
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बैठक में किसान नेताओं ने किया मौन धारण अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की कविता कुरुगंती ने बताया कि सरकार ने किसानों से कहा है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं ले सकती और ना लेगी। कविता भी बैठक में शामिल थीं। लगभग एक घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया। इन बैनरों में लिखा था 'जीतेंगे या मरेंगे'। लिहाजा, तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए। एक सूत्र ने बताया कि तीनों मंत्रियों ने दोपहर भोज का अवकाश भी नहीं लिया और एक कमरे में बैठक करते रहे।
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बैठक से पहले तोमर ने की शाह से मुलाकात शुक्रवार की बैठक शुरु होने से पहले तोमर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और दोनों के बीच लगभग एक घंटे वार्ता चली। इससे पहले, चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे रहे, वहीं सरकार 'समस्या' वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करना चाहती है। किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी। इससे पहले, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जतायी कि शुक्रवार की बैठक में कोई समाधान निकलेगा।
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