नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल कोविड-19 के चलते अपने पिता को खोने वाले नाबालिग भाई-बहन को फीस के भुगतान में किसी भी तरह की रियायत या माफी के लिये स्कूल का रुख करने का निर्देश दिया और कहा कि वह दिल्ली सरकार को निजी स्कूल की फीस भरने के लिये अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकता। बच्चों के परिवार में उनके पिता अकेले कमाने वाले थे।
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न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ''मैं समझ सकती हूं (लेकिन) दिल्ली सरकार एक निजी स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर सकती। वे एक व्यकि के लिए ऐसा नहीं कर सकते।'' न्यायाधीश ने कहा कि सरकार दोनों बच्चों को अपने स्कूलों में मुफ्त शिक्षा प्रदान कर सकती है।
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बच्चों की ओर से पेश अधिवक्ता भरत मल्होत्रा ने कहा कि बच्चों की मां गंभीर वित्तीय तनाव का सामना कर रही है और चूंकि सरकार ने पहले घोषणा की थी कि ऐसे बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी। ऐसे में या तो शुल्क का भुगतान सीधे अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए या इसकी प्रतिपूर्ति होनी चाहिये।
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उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार ने 19 अगस्त को एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया था कि जो बच्चे अनाथ हो गए हैं या जिनके माता-पिता में से किसी की कोविड-19 के कारण मौत हो गई, उन्हें स्कूलों में अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार के वकील अनुज अग्रवाल के इस बयान पर विचार करते हुए कि सर्कुलर केवल एक सप्ताह पहले जारी किया गया था, याचिकाकर्ताओं को अपने स्कूल जाने के लिए कहा।
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