Thursday, Mar 30, 2023
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china''''s economic growth rate slows down to 3 percent, second lowest level in 50 years

कोविड की मार से बदहाली की कगार पर चीन की अर्थव्यवस्था, आबादी भी घटी

  • Updated on 1/17/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पिछले साल कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाई गईं पाबंदियों, रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2022 में घटकर तीन प्रतिशत पर आ गई है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 50 साल में दूसरी सबसे धीमी वृद्धि की रफ्तार है।

मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर रहा। चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य से काफी नीचे रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पाबंदियां हटने के बाद से धीरे-धीरे शॉपिंग मॉल और रेस्तरां में लोगों की मौजूदगी बढ़ रही है। वहीं सरकार के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि संक्रमण की मौजूदा लहर गुजर चुकी है। इससे पहले 1974 में चीन की वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत रही थी।

उल्लेखनीय है कि इस साल डॉलर मूल्य में चीन की जीडीपी दर 2021 के 18,000 अरब डॉलर से घटकर 17,940 अरब डॉलर पर आ गई है। चीन की मुद्रा (आरएमबी) की तुलना में डॉलर में मजबूती की वजह से ऐसा हुआ है। आरएमबी में चीन की अर्थव्यवस्था 2022 में 1,21,020 अरब युआन रही, जो 2021 में 1,14,370 अरब युआन थी।

चीन में जन्म दर गिरने के साथ ही आबादी घटी

चीन ने देश में बढ़ती बुजुर्गों की आबादी और गिरती जन्म दर के बीच पहली बार हाल के वर्षों में जनसंख्या में गिरावट आने की घोषणा की है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, देश में पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के अंत में आबादी 8,50,000 कम रही। यह ब्यूरो हांगकांग, मकाओ और स्वशासी ताइवान के साथ-साथ विदेशी निवासियों को छोड़कर केवल चीन की मुख्य भूमि की आबादी की गणना करता है। ब्यूरो ने मंगलवार को बताया कि 1.041 करोड़ लोगों की मौत के मुकाबले 95.6 लाख लोगों के जन्म के साथ देश की आबादी 1.411.75 अरब रह गई। इनमें से 72.206 करोड़ पुरुष और 68.969 करोड़ महिलाएं हैं।

चीन में वर्ष 2016 में ‘एक परिवार एक बच्चा' नीति खत्म कर दी गई थी। साथ ही देश में परिवार के नाम को आगे बढ़ाने के लिए पुरुष संतान को तरजीह देने का चलन है। यह नीति खत्म करने के बाद चीन ने परिवारों को एक से अधिक बच्चों के जन्म के लिए प्रोत्साहित किया, हालांकि इसमें अधिक सफलता नहीं मिल पाई। चीन के शहरों में बच्चों के पालन-पोषण के अत्यधिक खर्च को अक्सर इसकी एक वजह बताया जाता है। पूर्वी एशिया के अधिकतर हिस्सों में ही ऐसा देखने को मिलता है, जहां जन्म दर में तेजी से गिरावट आई है।

चीन लंबे समय से दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश रहा है, लेकिन जल्द ही भारत के इसे पीछे छोड़ने की संभावना है। भारत की अनुमानित आबादी अभी 1.4 अरब है और जो लगातार बढ़ रही है। ऐसा माना जाता है कि आखिरी बार चीन में 1950 के दशक के अंत में ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड' के दौरान जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई थी। माना जाता है कि सामूहिक खेती और औद्योगीकरण के लिए माओत्से तुंग के इस विनाशकारी अभियान के कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे लाखों लोग मारे गए।

ब्यूरो के अनुसार, चीन में 16 से 59 साल की उम्र के यानी कामकाजी आयु के कुल 87.556 करोड़ लोग हैं, जो देश की कुल आबादी का 62.0 प्रतिशत है। वहीं 65 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों की कुल संख्या 20.978 करोड़ है, जो कुल आबादी का 14.9 प्रतिशत है। वर्ष 2022 में स्थायी शहरी आबादी 64.6 करोड़ से बढ़कर 92.071 करोड़ हो गई, जो कुल आबादी का 65.22 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण आबादी में 73.1 लाख की गिरावट आई। कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के जनसंख्या के आंकड़ों पर संभावित प्रभाव पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की गई।

संक्रमण का पहला मामला चीन के वुहान शहर में ही सामने आया था। संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि 15 नवंबर को दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंच गई थी और भारत 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में जल्द चीन की जगह ले लेगा। विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि 1950 के बाद पहली बार 2020 में वैश्विक जनसंख्या वृद्धि में एक प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (चीन) 2022 में तीन प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले वर्ष के 8.1 प्रतिशत के आधे से भी कम है। 

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