नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारतीय आयुर्वेद में दवाओं के लिए एक पौधे का इस्तेमाल किया जाता है। जिसका नाम है कालमेघ। कालमेघ को स्थानीय भाषाओँ में हरा चिरायता, देशी चिरायता, बेलवेन जैसे नामों ने जाना जाता है। कालमेघ उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिमी बंगाल अधिक पाया जाता है। इस पौधे का कई तरह की दवाओं बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन अब यह पौधा कोरोना का भी इलाज करेगा! दरअसल, इस दवा के गुणों के कारण इसे कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रयोग में लाया जायेगा।
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कोरोना से लड़ने में सक्षम! इस बारे में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP) के साइंटिस्ट का भी कहना है कि कालमेघ यानी एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा कोरोना से लड़ने में सक्षम है। इसमें मौजूद एंड्रोग्राफोलीड (Andrographolide) होता है, जिसका प्रयोग भारत की कई चर्चित आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।
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आयुष मंत्रालय का शोध इतना ही नहीं कालमेघ पर आयुष मंत्रालय भी इसकी क्षमता और सक्रियता पर शोध कर चुका है। और इस बारे में इंडियन ड्रग इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि कालमेघ में इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने की क्षमता है और इसी लिए इसे मलेरिया और दूसरे तरह के जटिल बुखार में इस्तेमाल किया जाता है।
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चीन में चल रहे हैं ट्रायल वहीँ कोरोना के इलाज को लेकर सीआईएमएपी के वैज्ञानिक बताते हैं कि इस आयुर्वेदिक दवा के बारे में अब चीन में भी क्लिनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं और अब तक इस ट्रायल की पिछले 3 महीने में 583 स्टडी रजिस्टर्ड की जा चुकी हैं। चीन ने इस कालमेघ से बनी दवा का नाम क्सिंपिंग "Xianping" रखा है। बताया जा रहा है कि इस दवा में एंटी वायरल, एंटी इंफ्लेमेटरी,एंटी फीवर, एंटी थ्रोट इन्फेक्शन के गुण हैं।
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परिक्षण जारी हैं सीएसआईआर के वैज्ञानिक बताते हैं कि कालमेघ में मौजूद 'एंडो ग्रेफीलाइट पैनीकुलेटम' एक टेट्रासाइक्लिन कंपाउंड है, जो वायरस की प्रोटीन के साथ जुड़ कर उसे खत्म कर देता है। सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने इस पर कई परिक्षण किए हैं और आगे भी लगातार इसके ट्रायल चल रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक पूरी टीम तैयार की गई है जो इस पर काम कर रही है।
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इन मर्ज भी है ये दवा कालमेघ को आयुर्वेद का चमत्कार भी कहा जाता है, जिसका कारण है उसका सैंकड़ों मर्ज की दवा होना। दरअसल, कालमेघ से सिर्फ इम्युनिटी ही नहीं बढ़ती बल्कि इसका इस्तेमाल खून साफ करने, स्किन प्रॉब्लम, लिवर फंक्शन को दुरुस्त करने, मधुमेह और डेंगू बुखार और चिकनगुनिया बुखार के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा यह सर्दी-जुकाम जैसे फ्लू को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
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