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चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट पर छाया आर्थिक संकट, तंगी से लड़खड़ाया शी जिनपिंग का सपना

  • Updated on 3/15/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कोरोना महामारी (Coronavirus) ने दुनिया की अर्थव्यस्था की कमर तोड़ दी। कई देशों की आर्थिक स्थिति पर इस महामारी का भारी असर हुआ है। कोविड-19 महामारी में आई मंदी से चीन (China) भी अछूता नहीं रह पाया, ऐसे में राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सपना, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव लड़खड़ा रहा है। जानकारी मिली है कि उसके पास बीआरआई के तहत बनाई परियोजनाओं के लिए पैसा नहीं है। चीन के कई कारोबार डूब रहे हैं, तो वहीं उसके नागरिक विदेशों में सरकारी निवेश का विरोध भी करने लगे हैं।

इससे पहले चीन इस साल जुलाई से पहले अरूणाचल प्रदेश से लगने वाली भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत तक बुलेट ट्रेनों का संचालन करेगा, जो सभी प्रांतों तक हाई-स्पीड ट्रेन सेवाओं की एक शुरूआत है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। चीन की सरकारी रेलवे ग्रुप कंपनी लिमिटेड के बोर्ड के अध्यक्ष लू डोंगफू ने सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ से कहा कि 435 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर आंतरिक दहन और बिजली से चलने वाली हाई-स्पीड फिक्सिंग ट्रेन चलायी जाएगी।

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रेल पटरी बिछाने का काम हुआ पूरा
प्रांतीय राजधानी ल्हासा और पूर्वी तिब्बत के ङ्क्षनगची के बीच रेलवे लाइन का निर्माण 2014 में शुरू हो गया था । यह तिब्बत का पहला ऐसा रेल मार्ग है जहां बिजली से ट्रेन चलेगी और इस पर मार्ग पर जून 2021 में परिचालन शुरू होना है। खबर में कहा गया है कि रेल पटरी बिछाने का काम 2020 में पूरा हो चुका है। 

लू ने कहा कि चीन का लक्ष्य 2025 तक हाई स्पीड ट्रेन का नेटवर्क 50 हजार किलोमीटर तक करने का है । हाई स्पीड ट्रेन का नेटवर्क 2020 के अंत तक 37,900 किलोमीटर था। उन्होंने बताया कि चीन में निर्मित फकिं्सग ट्रेनों की गति प्रति घंटा अब बढ़कर 160 किलोमीटर से 350 किलोमीटर के बीच पहुंच गयी है।   

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अलगाववादी ताकतों पर अमेरिका की अपील
इसके अलावा चीन ने को अमेरिका से सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और उसकी एक दलीय राजनीतिक प्रणाली को ‘बदनाम’ नहीं करने और ताइवान, तिब्बत, हांगकांग एवं शिनजियांग में ‘‘अलगाववादी ताकतों’’ का समर्थन नहीं करने की अपील की।

चीन- अमेरिका संबंध के विषय पर आयोजित वार्षिक ‘लैंटिंग फोरम’ में विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि बाइडन प्रशासन को अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उन कठोर नीतियों पर विचार करना चाहिए जिसे उन्होंने चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने के लिए उठाया था। वांग ने कहा, ‘हमारी मंशा अमेरिका को चुनौती देने या उसे हटाने की नहीं है। हम शांतिपूर्ण सह- अस्तित्व के लिए तैयार हैं और अमेरिका के साथ साझा विकास चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘इसी तरह हम आशा करते हैं कि अमेरिका चीन के बुनियादी हितों, राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और विकास के अधिकार का सम्मान करेगा। हम अमेरिका से सीपीसी और चीन की राजनीतिक प्रणाली को बदनाम नहीं करने, उसके खिलाफ गलत शब्दों से बचने का अनुरोध करते हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘साथ ही हम चाहते हैं कि अमेरिका ‘ताइवान की आजादी’ की मांग करने वाले अलगाववादी ताकतों का समर्थन नहीं करे तथा हांगकांग, शिनजियांग एवं तिब्बत से संबंधित चीन के आंतरिक मामलों में उसकी संप्रभुता एवं सुरक्षा को कमतर करना बंद करे।’ 

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