नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। 25 दिसबंर को हर साल पूरे विश्व में ईसाई धर्म (Christianity) का पावन त्यौहार क्रिसमस (Christmas) मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन घरों और चर्च (Church) में क्रिसमस ट्री सजाया जाता है। दूनिया में हर जगह इस त्योहार को लेकर कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित है जिसके अनुसार लोग इस दिन को जोर-शोर से मनाते हैं।
पहली बार इंग्लैंड के विंडसर कैसल में लगाया गया बता दें कि क्रिसमस ट्री को सदाबहार फर, डगवस और बालसम के नाम से भी जानते हैं। इसे पहली बार इंग्लैंड में प्रिंस अल्बर्ट ने 4841 में विंडसर कैसल में लगाया था। सजाबहार फर कभी नहीं मुरझाता है और चाहे कितना भी बर्फ हो हमेशा हरा-भरा रहता है। इस पेड़ पर क्रिसमस के दिन खुब सजावट की जाती है।
आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरूआत पश्चिमि जर्मनी में हुई बताया जाता है कि इस पंरपरा की शुरूआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिब्रू लोगों ने की थी। आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरूआत पश्चिमि जर्मनी में हुई थी। मध्यकाल के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों को प्रयोग किया गया था। जिस पर सेब लटकाए गए थे।
जिसके बाद 24 दिसंबर को जर्मनी के लोगों ने फर के पेड़ों से घर की सजावट करना शुरू कर दिया। जिसके आस-पास रंगीन पत्रियों, कागजों और लकड़ी के तिकोने तख्ते सजाए जाते थे।
समय के साथ आधुनिक तरिके से होने लगी साज-सज्जा फिर बाद मे विक्टोर्या काल में इन पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था। इसके साथ ही इसमें खआने की चीजें जैसे सोने के वर्क में लिपटे सेब, जिंजरब्रैड की भी पंरपरा है।
क्रिसमस ट्री सजाने से बच्चों की उम्र होती है लंबी इस पेड़ के पिछे एक मान्याता ये भी है कि रोमन लोगों ने सर्दियों में भगवान सूर्य के सम्मान में मनाए जाने वाले सैटर्नेलिया पर्व में चीड़ के पेड़ों को सजाने का रिवाज शुरू किया गया था।
इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि क्रिसमस ट्री सजाने से घर के बच्चों की उम्र लंबी होती है। साल 1947 में नॉर्वे ने ब्रिटेन को सदाबहार फर का पेड़ दान करके द्वीतीय विश्व युद्ध में मदद के लिए शुक्रिया था।
अलग-अलग क्रिसमस ट्री इन सभी मान्यताओं के बाद आधुनिक काल में अब अगल-अलग तरीके से क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है। साल 2015 में लिथिआनिया की राजधानी विनियस में ऐसा क्रिसमस ट्री बनाया गया जिसमें प्रवेश करने पर परीलोक जैसा अहसास होता था। दक्षिण अमेरिका के रियो डी जेनेरियो में साल 2014 में रोड्रिगो डी फ्रीटस झील में तैरता हुआ खूसूरत क्रिसमस ट्री बनाया गया था। इसके अलावा नॉर्वे के डोर्टमंड में जगमग करते 45 मीटर ऊंचे क्रिसमस ट्री को बनाने में लगभग एक महिने का वक्त लगा। जिसे 1700 स्प्रूस ट्री को जोड़कर बनाया गया था फिर इसके चारों तरफ शानदार लाइटिंग की गई थी।
दूनिया का सबसे लंबा क्रिसमस ट्री बता दें कि दूनिया का सबसे लंबा क्रिसमस ट्री क्षीलंका में है ये कृत्रिम है और इसे श्रीलंका के कोलम्बों में गॉल फेस ग्रीन पर बनाया गया था। इसकी ऊचाई 72.1 मीटर है और इश स्टील, तार फ्रेम, स्क्रैप धातु और लकड़ी से बनाया गया है जिसमें 6 लाख एलएडी बल्ब लगाए गए हैं।
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