Friday, Mar 24, 2023
-->
clinical-trial-of-bharat-biotech-coronavirus-vaccine-covaxin-caution-prsgnt

15 अगस्त तक COVAXIN आने के नहीं है आसार, विशेषज्ञों और डॉक्टर्स ने बताया कहां फंसा पेंच

  • Updated on 7/4/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना महामारी के बीच भारत में दो भारतीय कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी हैं इनमें से एक कोवैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल के लिए भारत सरकार की अनुमति भी मिल गई है। इस वैक्सीन को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शुक्रवार को एक पत्र जारी का कहा कि वैक्सीन 15 अगस्त तक आ सकती है।

इतना ही नहीं, जहां किसी भी वैक्सीन को तैयार करने में कई चरणों के ट्रायल की आवश्यकता होती है वहीँ आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक कोवैक्सीन के आ जाने का दावा करना वैज्ञानिकों द्वारा विरोध का कारण बन रहा है।

कोरोना संक्रमण के 3 नए लक्षण आए सामने, सामान्य समझ कर इन्हें न करें अनदेखा

तय किए गए 12 अस्पताल
दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोवैक्सीन को 15 अगस्त तक इसकी तीसरे और चौथे चरण के ट्रायल को पूरा करने के लिए जोर देकर कहा है। इसके लिए आईसीएमआर ने 12 अस्पताल भी तय कर दिए हैं जहां वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल होना है।

इसके लिए 12 अस्पतालों को ये निर्देश दिए गये हैं कि 7 जुलाई तक मरीजों का चुनाव कर ले। हालांकि अभी तक 6 अस्पतालों को ही एथिक्स कमेटी की तरफ से ट्रायल की अनुमति मिली है। लेकिन कुछ अस्पतालों ने आईसीएमआर को इसके लिए चेताया भी है।

भारत की पहली कोरोना वैक्सीन के बारे में जानिए सब कुछ, इस दिन आने के हैं आसार!

अस्पतालों में नहीं सुविधाएं
आईसीएमआर द्वारा जिन 12 अस्पतालों को ट्रायल के लिए चुना गया है उनमें से कई में वो सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं जिससे वहां किसी भी दवा का ट्रायल किया जा सके। जिन 6 अस्पतालों को अभी फिलहाल अनुमति मिली है उनमें से 4- नागपुर का गिलुरकर मेडिकल हॉस्पिटल, बेलगाम का जीवन रेखा हॉस्पिटल, कानपुर का प्रखर हॉस्पिटल और गोरखपुर का राणा हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर शामिल हैं।

ये सभी प्राइवेट और छोटे अस्पताल हैं। यहां कोई सुविधा नहीं हैं और न ही यहां रिसर्च सेंटर हैं और न ही यह किसी मेडिकल कॉलेज से ही जुड़े हैं।

दिल्ली में इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाओं की डिमांड बढ़ी, बिक्री में 7 गुना ज्यादा इजाफा

डॉक्टर परेशान हैं
वहीँ, आईसीएमआर से निर्देश मिलने के बाद डॉक्टर्स परेशान हैं। दिल्ली एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि अभी तक हमें ट्रायल की अनुमति नहीं मिली हैं, ऐसे में हम 7 जुलाई तक मरीज कैसे खोज कर ला सकते हैं।

जबकि ओडिशा के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड सम हॉस्पिटल के महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर वेंकट राव का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को अगर वैक्सीन की डोज दी जाती है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बनने में कम से कम 28 दिन लगते हैं। ऐसे में 15 अगस्त तक वैक्सीन को लॉन्च करने की बात कहना संभव नहीं है।

Good News: देश में कोरोना रिकवरी रेट हुई 60% से ज्यादा, दुनिया से बेहतर स्थिति में भारत

लंबा है प्रोसेस
जानकारों की माने तो वैक्सीन के लिए एथिक्स कमेटी से मंजूरी लेने में समय लगता है जो कि अभी तक कई अस्पतालों को नहीं मिली है। दूसरा इसके लिए मरीजों के चुनाव में और उनके एनरोलमेंट करने में भी समय लगता है। तीसरी बात ये हैं कि किसी भी वैक्सीन के सार्वजनिक इस्तेमाल को मंजूरी मिलने में कम से कम एक साल का समय लग जाता है। लग सकता है।

इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह से जल्दबाजी करना मरीजों के लिए जोखिम भरा और काफी खतरनाक को सकता है।

यहां पढ़ें कोरोना से जुड़ी महत्वपूर्ण खबरें...

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

comments

.
.
.
.
.