नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद जारी अटकलों के बीच अब नए कांग्रेस अध्यक्ष के चयन का एक फार्मूला सामने आया है। कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों से कहा है कि वह अपने पसंद के चार नाम एक बंद लिफाफे में सौंपें। सर्वाधिक लोगों जिसका नाम लेंगे, उन्हें कांग्रे की बागडोर सौंपने पर विचार किया जा सकता है।
अध्यक्ष के चयन में देरी, पार्टी के लिए नुकसानदेह उधर, राहुल गांधी के इस्तीफे के ऐलान के बाद पार्टी में लगभग हाशिए पर जा चुके बुजुर्ग नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सुनने को मिल रही है। ये बुजुर्ग 10 जनपथ के करीबी रहे हैं और अब राहुल का विकल्प चुने जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। बुजुर्गवार कांग्रेसी डॉ. कर्ण सिंह के बाद मंगलवार को जनार्दन द्विवेदी नए अध्यक्ष के चयन में हो रही देरी को पार्टी के लिए नुकसानदेह बताया। द्विवेदी ने शीघ्रातिशीघ्र कार्यसमिति की बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगाने की जरूरत पर बल दिया।
पद छोडऩे से पहले नए पार्टी प्रमुख के चयन की व्यवस्था बनानी चाहिए थी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी के साथ महासचिव पद पर काम कर चुके जनार्दन द्विेदी का मानना है कि तकनीकी तौर पर राहुल गांधी अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उन्हें चाहिए कि वे ही नए अध्यक्ष के चयन के लिए कोर कमेटी का गठन करें। द्विेदी ने सवाल किया कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी के भीतर जो बैठकें चल रही हैं, इससे जुड़े पैनल को किसने अधिकृत किया है? उनका कहना है कि कोर कमेटी केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए बनी थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को पद छोडऩे से पहले खुद नए पार्टी प्रमुख के चयन को लेकर एक व्यवस्था बनानी चाहिए थी।
मौजूद नेताओं को इस आदर्श का अनुसरण करना चाहिए मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस के पूर्व महासचिव ने राहुल गांधी के इस्तीफे की तारीफ करते हुए कहा कि जिम्मेदार पदों पर मौजूद नेताओं को इस आदर्श का अनुसरण करना चाहिए था। नए अध्यक्ष के लिए नामों के उछाले जाने को अनुचित बताते हुए द्विवेदी ने कहा कि पांच साल पहले जब नई पीढ़ी को महत्व देने की बात आई थी तो उन्होंने इसका समर्थन किया था। कहा जाता है कि 2017 में राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद जनार्दन द्विेदी ने 2018 में खुद से रिटायरमेंट ले लिया था। लेकिन अंदर की बात यह है कि द्विेदी इंदिरा, राजीव और सोनिया गांधी के करीब रह कर काम कर चुके हैं, इसलिए राहुल के मातहत काम करने में असहज महसूस कर रहे थे।
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