नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था पर शुक्रवार को प्रहार करते हुए कहा कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित' शब्दावली है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने विवेक से एक अदालती फैसले के जरिये कॉलेजियम का गठन किया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 1991 से पहले सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती थी। यहां टाइम्स नाऊ समिट में मंत्री ने कहा कि भारत का संविधान हर किसी और विशेष रूप से सरकार के लिए एक पवित्र दस्तावेज है।
उन्होंने कहा, ‘‘अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण कोई भी चीज संविधान के प्रति सर्वथा अपरिचित (एलियन) हो सकती है। ऐसे में आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले का देश समर्थन करेगा।'' रीजीजू ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली हमारे संविधान के प्रति सर्वथा अपिरिचित शब्दावली है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप मुझे बताइए कि किस प्रावधान में कॉलेजियम प्रणाली का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली में खामियां हैं और लोग आवाज उठा रहे हैं कि यह प्रणाली पारदर्शी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई जवाबदेही भी नहीं है। ''
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