नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने वाले हैं, इसी को लेकर पंजाब केसरी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से खास बातचीत की। इस दौरान उनसे हिमाचल उपचुनाव में हार, टिकट बंटवारे पर नाराजगी और हिमाचल में इस बार विधानसभा चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी के बारे में सवाल-जवाब हुए। उन्होंने हिमाचल और गुजरात दोनों राज्यों में एकतरफा सरकार बनाने का दावा किया। इस विषय पर नवोदय टाइम्स, पंजाब केसरी (जालंधर), जग बाणी और हिंद समाचार के बलवंत तक्षक और श्रमित चौधरी ने उनसे खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश : -
हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है तो दूसरा आपका। आप दोनों जगह कितनी चुनौती मानते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश और दुनिया में अपना एक स्थान है और जब भी चुनाव आते हैं तो चाहे वो देश की जनता हो, चाहे किसी और सूबे की, सभी उनको बहुत प्यार करते हैं और उनको आशीर्वाद भी देते हैं। हिमाचल प्रदेश में नरेंद्र मोदी प्रभारी रहे हैं। लोगों को उन पर बहुत अटूट विश्वास है और उनका आशीर्वाद भी हिमाचल प्रदेश को खूब मिला है। लोगों ने महसूस किया है कि मोदी जी के आने से हिमाचल प्रदेश मुख्यधारा में आया, विकास में जुड़ा, बहुत बड़े-बड़े प्रोजैक्ट्स आए, जो कभी सोचा नहीं था वो मिला तो उस आशीर्वाद को रिस्पॉन्ड करने का समय अब आया है, तो जनता रिस्पॉन्ड करने को आतुर है और भाजपा को आशीर्वाद देगी। जहां तक गुजरात का सवाल है तो वहां उनको बतौर मुख्यमंत्री लोगों ने 12 साल देखा है। लोग गुजरात में उनको बहुत प्यार करते हैं। इसलिए जब भी चुनाव आते हैं, प्रधानमंत्री को खूब आशीर्वाद देते हैं। इस बार भी भाजपा को आशीर्वाद मिलने वाला है। एक बात मैं यहां यह बोलना चाहूंगा कि आशीर्वाद मोदी जी का होता है, उसे धरती पर उतारने का काम हिमाचल में जयराम ठाकुर ने अच्छा किया है। वैसे ही पहले रूपाणी फिर पटेल ने गुजरात में उसे धरती पर उतारा है। इसलिए दोनों ही जगह जनता इस विश्वास को कायम रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी को भरपूर आशीर्वाद देती है। मैं उत्साह देख रहा हूं, मैं माहौल देख रहा हूं, जगह-जगह पर जो जनसभाएं होती हैं, उनमें जो मैंने उत्साह देखा है उसे देखकर मैं ये कह रहा हूं।
आप रिस्पॉन्स मिलने की बात कह रहे हैं लेकिन हिमाचल में पिछले दिनों जो उपचुनाव हुआ, उसमें पार्टी को हर जगह शिकस्त मिली, इस पर क्या कहेंगे? इसमें समझने वाली बात है कि उपचुनाव में हम हमेशा एक्सपेरिमैंट करते हैं, क्योंकि हमारी स्टेबल गवर्नमैंट है। हम कई बार बोलते हैं कि इस समय कार्यकर्ता को देकर देखो, किसी नए चेहरे को देकर देखो तो एक प्रिंसिपल स्टैंड हमने लिया, उसके तहत हमने कैंडिडेट तय किए थे। उसमें सफलता नहीं मिली। मैं यह मानता हूं कि वो एक प्रयोग था और उस तरीके के प्रयोग हम करते रहते हैं लेकिन वातावरण भाजपा के पक्ष में उस दिन भी था और आज भी है।
हिमाचल प्रदेश में सरकार रिपीट न होने का रिवाज है, लेकिन आप मिशन रिपीट का नारा दे रहे हैं? प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पॉलिटिकल कल्चर चेंज हो चुका है, जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब प्रो-इनकंबेंसी शब्द आया, इससे पहले सिर्फ एंटी- इनकंबेंसी शब्द था। जब गुजरात में मोदी जी ने 12 साल राज किया तो दुनिया की सभी ताकतें वहां जाकर उन्हें हराने की कोशिश करती थी लेकिन वो प्रो-इनकंबेंसी फैक्टर से जीतकर आते थे।
हम मोदी जी के नेतृत्व में 2014 में भी आए 2019 में भी केंद्र सरकार में आए, यू.पी. में हम 2017 में भी आए, 2022 में भी आए, उत्तराखंड जहां कभी किसी भी पार्टी की सरकार रिपीट नहीं हुई, वहां हमारी सरकार रिपीट हुई, हमने मिशन कंपलीट किया। गोवा में तीसरी बार हमने सरकार बना ली, जो मोदी जी के प्रति विश्वास है, प्रो-इनकंबेंसी फैक्टर है, उसके चलते हम राज नहीं, रिवाज बदल रहे हैं और हिमाचल की जनता रिवाज बदलने के लिए आतुर बैठी है।
टिकट बंटवारे से नाराज बगावत कर रहे हैं, पार्टी के खिलाफ मैदान में भी उतर गए हैं, कैसे संभालेंगे? सबसे पहली बात तो यह है कि आकांक्षाएं हैं तो इसका मतलब है कि आशा है। वातावरण पक्ष में है, तभी लोग खड़ा होना चाहते हैं। परिवार में कई बार लोग समय पर मानते हैं, कई बार थोड़ी देर बाद और सबको साथ चलाना हमारा काम है। हमने कोशिश की, बहुत लोगों को हम बैठा पाए, बहुत को हम नहीं बैठा पाए, जहां नहीं बैठा पाए, वहां अभी वातावरण बनेगा वो सिलसिला चलता रहेगा, तो वो वापस आएंगे, उसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है।
मगर हमें एक बात समझनी चाहिए कि आपने भाजपा को भी देखा है और हमारी कार्यशैली को भी, जो भी पार्टी के अंदर रहकर काम करता है उसी को आशीर्वाद मिलता है। पार्टी से बाहर जाते हैं तो उनको जनता भी नहीं मानती है। वो स्थिति थोड़े ही दिन में आ जाएगी फिर वो बोलेंगे कि हमें वापस ले लो, हमने कोशिश कर ली।
भाजपा केंद्र में दो बार मोदी की लोकप्रियता के कारण आई, पंजाब में क्या भविष्य देखते हैं? जवाब- जहां भाजपा नहीं होती है या कम होती है, वहां कोई भी पार्टी उसका फायदा उठा सकती है और उसमें कांग्रेस ने भी मदद की है। पंजाब में हमारा अकाली दल से समझौता था, हमने तय किया था कि हम समझौता नहीं तोड़ेंगे। मोदी जी बादल साहब की बहुत इज्जत करते हैं लेकिन अकाली दल ने किसान आंदोलन के नाम पर अपने आपको हमसे अलग कर दिया।
हम 23 सीटों पर चुनाव लडऩे वाले थे लेकिन पहली बार हमने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा। हम नई पार्टी थे लेकिन अब हमारी स्थिति खराब नहीं है क्योंकि कांग्रेस के कई नेता और कैप्टन अमरिंदर सिंह भी भाजपा में आए हैं। किसी भी पार्टी को ग्रो करने में टाइम लगता है, आप अगले चुनाव में देखिएगा, हम अगली सरकार पंजाब में बनाएंगे।
भाजपा के लिए आम आदमी पार्टी कितनी बड़ी चुनौती है? आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में लडऩे आई थी। 350 सीटों पर लड़े, 349 पर जमानत जब्त हुई, उत्तराखंड में 70 पर लड़े 65 पर जमानत जब्त हुई। इनका अध्यक्ष ही छोड़कर भाजपा में चला गया, आजकल हिमाचल में प्रचार कर रहा है। गोवा में गए 39 सीटों पर लड़े, 35 पर जमानत जब्त हुई। वहीं हिमाचल में आए बाद में, रन आऊट पहले हो गए। दिखते ही नहीं हैं। 8 तारीख को हम मिलेंगे देख लेना जमानतें जब्त होंगी। गुजरात में भी खूब हल्ला कर रहे हैं।
आपको बता दूं, ये हिमाचल इसलिए छोड़ गए क्योंकि हिमाचल के लोग बहुतायत में पंजाब में भी हैं और दिल्ली में भी हैं। इनकी एक्टिविटी लोगों ने देखी है, घोटाले, भ्रष्टाचार, झूठ बोलना, लोगों को बरगलाना। इसलिए ये हिमाचल से छोड़कर चले गए, गुजरात दूर है, उनको लगा कि वहां पर हम प्रयास करें। ये केवल एक तरीके का वातावरण बनाने का प्रयास करते हैं और लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। ये हर कोई कर रहा है इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है, चुनाव हैं, प्रजातंत्र है, लेकिन मैंने इनका इतिहास आपके सामने रखा है। इसलिए हिमाचल और गुजरात में ये हमारे लिए कोई चैलेंज नहीं हैं।
कांग्रेस का दावा है कि वो ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ग्राऊंड लैवल पर मजबूत हुई है तो यह आपको कितना चैलेंज कर रही है ? ये घर से बड़े दिनों बाद भारत भ्रमण पर निकले हैं, अच्छी बात है घूमें-फिरें लेकिन मैं अभी आपको ये नहीं बताऊंगा कि इनकी यात्रा में क्या-क्या कमियां हैं और क्यों इन्हें सफलता नहीं मिलेगी, लेकिन हमें दिखता है कि ये सब चीजें दिखावे के लिए हैं वो अपनी पार्टी में ही अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष आपके लिए कितनी बड़ी चुनौती ? खरगे जी को मैं बधाई देता हूं, ये उनका इंटरनल पार्टी का मैटर है लेकिन सवाल ये है कि सी.डब्ल्यू.सी. से स्क्रीनिंग कमेटी बनाई, क्यों बनाई समझ में नहीं आता, इसका संविधान कहां है मालूम नहीं, एक ही परिवार के तीन सदस्य उसमें हैं तो परिवारवाद से मुक्त कैसे हुए? भाजपा ने वंशवाद पर परिवारवाद पर इतनी चोट मारी कि उनको मजबूर होना पड़ा, इतने साल बाद नॉन गांधी परिवार के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने के लिए।
भाजपा ने सत्ता में आने के बाद देश के विकास का जो लक्ष्य रखा था तो 2022 खत्म होते-होते कहां तक पहुंचा? हम बिल्कुल टारगेट पर चल रहे हैं। हम 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। 5 ट्रिलियन इकॉनमी की ओर बढ़ रहे हैं, बाकी सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था कोरोना के कारण स्लो डाऊन हुई लेकिन हमने पेस पकड़ा हुआ है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 33 प्रतिशत बढ़ गया। स्टील में हम नंबर 2 पर, टेलीफोन मैन्युफैक्चरिंग में भी नंबर 2 पर, सोलर पावर में हम नंबर 5 पर हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, शिक्षा में अब हमने जो निवेश किया है उसका एक बहुत बड़ा नतीजा हमें दिखने वाला है। प्राइमरी, सैकेंडरी और हायर एजुकेशन तीनों पर काम चला हुआ है। एविएशन में एक क्रांति आई है। गरीबों का एंपावरमैंट इतना हुआ है कि हम अति गरीबी की रेखा से बाहर निकल आए हैं। भुखमरी नाम की चीज खत्म हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में 80 करोड़ की जनता को राशन देने का काम किया है। हम रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े निर्यातक हैं, जो पहले लेता था अब देने लग गया। अभी भी अमरीका, यूरोप में वैक्सीनेशन का प्रोसैस पूरा नहीं हुआ, हम 219 करोड़ रुपए डबल डोज, बूस्टर डोज लगा चुके हैं और भारत में मास्क नाम की चीज रह ही नहीं गई है। यह बताता है कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत टारगेट पर भी चला हुआ है और भारत की इमेज दुनिया में बदली है।
अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार और भी कई चेहरे आपके सामने खड़े हैं, 2024 के लिए आप इन्हें कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं? हम हर चुनाव को चुनौती मानकर चलते हैं और तैयार रहते हैं। चुनाव लडऩा रणनीति का विषय होता है और रणनीति पर्दे का विषय, इसलिए हम ज्यादा खुलासा तो नहीं कर सकते, लेकिन हम तैयार हैं। खराब है ये कहकर लडऩा मोदी जी का तरीका नहीं है, हम अच्छे हैं और हमारा होना जरूरी है और हम देश को सुरक्षित रख सकते हैं। पिछली बार 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर लड़े, हमने देखा वो कॉम्बिनेशन ध्वस्त हो गया। उसके बाद आए मायावती और समाजवादी पार्टी की चर्चा रही कि ये मिल जाएंगे तो बड़ा नुक्सान होगा, लेकिन मोदी जी को एकतरफा पॉजिटिव वोट आया। इसलिए 2024 में भी हमें पॉजिटिव वोट आएगा।
अरविंद केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी-गणेश जी की फोटो लगाने की बात कही, बीजेपी का इस पर क्या स्टैंड है? अरविंद केजरीवाल जी चुनाव के लिए ये सब करते रहते हैं लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि उनकी क्रेडिबिलिटी लैवल बहुत नीचे आया है। कोई भी उनकी बातों को सीरियस नहीं लेता। लोग भूल जाते हैं लेकिन हमारा काम है, याद दिलाया। उन्होंने कहा था मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन लड़ा, मैं पार्टी नहीं बनाऊंगा, बनाई। मैं सिक्योरिटी नहीं लूंगा, आजकल पंजाब की ले रखी है और बाकि भी, मैं गाडिय़ां नहीं इस्तेमाल करूंगा, आज उन्होंने सारी फैसिलिटी ले रखी हैं। मैं सी.ए.जी. का ऑडिट करवाऊंगा डिस्कॉम पर, मैं लोकपाल बिल लेकर आऊंगा, मैं पानी माफिया से लड़ूंगा, हम आज तक इन सब चीजों का इंतजार कर रहे हैं। मैं ट्रांसपोर्ट में परिवर्तन लाऊंगा, मैं ईमानदार सरकार लाऊंगा लेकिन घोटाले की सरकार दी, शराब जैसी चीज में घोटाला किया। वो कहते थे मैं क्रिमिनल्स को टिकट नहीं दूंगा, लेकिन तीन जेल के अंदर हैं बाकी कुछ बेल पर हैं। उन्होंने राम जन्म भूमि का विरोध किया आज उन्हें गणेश जी और लक्ष्मी जी दिख रहे हैं। उनका इंटेंशन वोट है नोट तो सिर्फ बहाना है।
चर्चा है कि जैसा असंतोष हिमाचल में कांग्रेस में देखा जा रहा है, वैसा ही बीजेपी में भी है? जवाब- ऐसा नहीं है। कांग्रेस में इंडिविजुअल लीडर्स हैं, उन्हें सपोर्ट मिलता है तो वो काम करते हैं वरना पार्टी के खिलाफ लड़ते हैं। हमारे यहां कुछ विद्रोही खड़े हो गए हैं लेकिन जिस तरीके का हमारा वातावरण अभी चुनाव में आगे बढ़ेगा वो भी जुड़ेंगे और वो भी हमारे साथ आएंगे। जो लोग पार्टी लाइन से बाहर जाते हैं, उन्हें लोगों का आशीर्वाद नहीं मिलता है।
कांग्रेस का कहना है कि सैमीफाइनल में चारों सीटें कांग्रेस जीती, अब फाइनल है वो भी कांग्रेस की झोली में आएगा, इस दावे पर आपका क्या कहना है ? वो लोग हमेशा बिना सीरियस थॉट लिए हुए राजनीतिक पार्टी के रूप में काम करते हैं। उनकी चार्जशीट है, उनको ही विश्वास नहीं होगा चार्जशीट पर तो जिस तरीके से वो राजनीति करते हैं, उस पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है। वो अपनी-अपनी कंस्टीच्युएंसी का चुनाव लड़ रहे हैं कोई प्रदेश का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
हिमाचल में एक बड़ा मुद्दा गूंज रहा है जो पंजाब में भी गूंजता रहा है और वो है ड्रग्स, उससे कब निजात मिलेगी? इससे निजात भारतीय जनता पार्टी के शासन में ही मिलेगी और बीजेपी ही इससे लड़ सकती है और लडऩे का प्रयास कर रही है। पंजाब को केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूरा सपोर्ट मिल रहा है, लेकिन पंजाब उसका उपयोग करता तो अच्छा होता लेकिन वो उसका उपयोग नहीं कर रहा, जहां तक हिमाचल का सवाल है हमने बॉर्डर्स को सुरक्षित तो रखा है उसे और सुरक्षित रखेंगे।
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