Tuesday, Mar 21, 2023
-->
Condition of Hindu girls in pakistan

पाकिस्तान में ‘हिंदू लड़कियों’ की दुर्दशा-2

  • Updated on 12/27/2019

नागरिकता कानून के विरुद्ध जिन नेताओं तथा उनकी पाॢटयों ने इस वक्त तूफान खड़ा कर रखा है उनमें से अभी तक किसी ने यह चुनौती स्वीकार नहीं की कि वे लोग मैदान में उतर कर ये बताएं कि आखिर यह कानून है क्या? किस पर लागू होगा और इससे कौन से लोग प्रभावित होंगे। उनको यह भी बताना होगा कि इस कानून से किसको खतरा है और किसे फायदा होगा। इसको लेकर एक वावेला जरूर खड़ा कर दिया गया है। लोगों को बहका-भड़का कर वैमनस्य का ऐसा जहर घोल दिया गया है जिसके दूषित प्रभाव मिटने-मिटाने की केवल कल्पना ही की जा सकती है। शीघ्र कोई आशा नहीं है। 

वहीं भारत सरकार का कहना है कि कानून का मूल उद्देश्य पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान के उन पीड़ित अल्पसंख्यकों की सहायता करना है जो संकट पडऩे पर भारत से शरण मांगते हैं। संकटग्रस्त ऐसे करोड़ों लोग कानूनी और गैर-कानूनी तौर पर अतीत में इन देशों से भारत आ चुके हैं। किन परिस्थितियों में पीड़ित लोगों को मजबूरी की हालत में अपने घर-बार छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी, इससे संबंधित अनेक वृत्तांत हमने पढ़े तथा सुने होंगे। परंतु वास्तव में उनका जीवन कितना पीड़ाजनक रहा होगा, इसका पूरा आभास करना सम्भव नहीं। 


हिन्दू-सिख किस परिस्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं इसका चित्रण नहीं 
नागरिकता कानून के विरुद्ध निराधार तूफान खड़ा किए हुए नेताओं और पार्टियों को इन शरणार्थिंयों की हालत का अंदाजा होता तो ये शायद विनाशक मार्ग न अपनाते। जो पीड़ित लोग बचकर निकल आए उन्हें तो यहां सुरक्षा मिल गई लेकिन जो अभी तक उन देशों में फंसे हुए हैं उनकी मुश्किल दशा का किसी को ज्ञान नहीं। कुछ सप्ताह हुए अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों से हिंदू-सिख कन्याओं के अपहरण और मुस्लिम लड़कों के साथ उनकी जबरन शादी के छिटपुट समाचार मिले थे लेकिन उन स्थानों के हिंदू-सिख किस कठिन परिस्थिति में जीवनयापन कर रहे हैं, इसका पूर्ण चित्रण उन समाचारों से नहीं होता था। 

हाल ही में एक नया विवरण सामने आया है जिससे पाकिस्तान के सिंध प्रांत क्षेत्र के हिंदू परिवारों की उन पीड़ादायक परिस्थितियों का पता चलता है जिनमें उन्हें अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है। इसका उल्लेख मैंने अपने पिछले लेख (पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की दुर्दशा)में किया था। कराची से प्रकाशित पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्र ‘डान’ के दो पत्रकारों ने सिंध प्रांत के हिंदू परिवारों के दयनीय जीवन के बारे में लिखा है कि हिंदू घरों में शादी-त्यौहारों की खुशियों में शहनाइयां बज रही होती हैं कि वहां अचानक एकदम मातम छा जाता है। गुंडे उनके घरों में घुसकर जवान लड़कियों को उठाकर ले जाते हैं। ऐसी ही एक घटना का वर्णन करते हुए पाकिस्तानी पत्रकारों ने बताया है कि घोटकी जिला के दहाड़की शहर में पिछले वर्ष दीवाली से एक रात पहले हरी लाल और रवीना के कहकहों और उनकी खुशी भरी किलकारियों से घर गूंज रहा था। रंग-बिरंगे रंगों से रंगोली के सुंदर चित्रण द्वारा आंगन सजाया गया था। पूरा आंगन दीपों से जगमगा रहा था, लेकिन इस दीवाली पर घर में मातम था। परिवार का दिन रोते हुए शुरू हुआ। इस दीवाली पर परिवार के बीच उनकी दो युवा बेटियां रीना और रवीना मौजूद नहीं थीं। परिवार जब होली का त्यौहार मना रहा था कि रंगों की फुहार के बदले उन पर आसमान से कहर की बिजली गिरी। गुंडे आए और दोनों बहनों को उठाकर ले गए। रीना और रवीना पर उसके बाद क्या बीती?

कृष्ण भाटिया

comments

.
.
.
.
.