नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। चीन (China) की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) की गलवान घाटी में भारतीय सेना (Indian Army) के साथ हुई झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों की मौत हुई थी।
क्वाड बैठक में कोरोना वायरस और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर हुई चर्चा, इन देशों ने लिया हिस्सा
चीन ने मानी झड़प में हुई जवानों की मौत
चीन की सेना के आधिकारिक अखबार ‘पीएलए डेली’ की शुक्रवार की खबर के मुताबिक, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना (सीएमसी) ने उन पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों को याद किया और उन्हें विभिन्न उपाधियों से नवाजा जो काराकोरम पहाडिय़ों पर तैनात थे और जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में मारे गए थे। ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने ‘पीएलए डेली’ की खबर के हवाले से बताया कि गलवान घाटी में झड़प के दौरान मरने वालों में पीएलए की शिनजियांग सेना कमान के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फबाओ भी शामिल थे।
भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष पांच मई से बनने शुरू हुए थे जिसके बाद पैंगांग झील क्षेत्र में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों तथा भारी भरकम हथियार एवं युद्ध सामग्री की तैनाती की थी।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। कई दशकों में भारत- चीन सीमा पर हुआ यह सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली पीएलए की सर्वोच्च इकाई सीएमसी ने क्वी फबाओ को ‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजिमेंटल कमांडर’ की उपाधि दी है। चेन होंगजुन को ‘सीमा की रक्षा करने वाला नायक’ तथा चेन शियानग्रांग, शियो सियुआन और वांग झुओरान को ‘प्रथम श्रेणी की उत्कृष्टता’ से सम्मानित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहला मौका है जब चीन ने यह स्वीकार किया है कि गलवान में उसके सैन्यकर्मी मारे गए थे। उसने उनके बारे में विस्तार से जानकारी भी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से चार सैन्यकर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारत की सेना का सामना करते हुए मारे गए।
अमरावती में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण सप्ताह के अंत में लगेगा लॉकडाउन, ये होगी पाबंदियां
दोनों देश के जवान अब हट रहे हैं भारत ने घटना के तुरंत बाद अपने शहीद सैनिकों के बारे में घोषणा की थी लेकिन चीन ने शुक्रवार से पहले आधिकारिक तौर यह कभी नहीं माना कि उसके सैन्यकर्मी भी झड़प में मारे गए। रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी टीएएसएस ने 10 फरवरी को खबर दी थी कि गलवान घाटी की झड़प में चीन के 45 सैन्यकर्मी मारे गए थे। पिछले वर्ष, अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उक्त झड़प में चीन के 35 सैन्यकर्मी मारे गए थे।
Rail Roko Abhiyan का रेलवे पर क्या असर रहा? पढ़ें ये रिपोर्ट
सिंघुआ विश्वविद्यालय में नेशनल स्ट्रेटेजी इंस्टीट्यूट के अनुसंधान विभाग में निदेशक क्वियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन ने घटना की जानकारी का खुलासा इसलिए किया है ताकि उन भ्रामक जानकारियों को खारिज किया जा सके जिनमें कहा गया था कि उक्त घटना में भारत के मुकाबले चीन को अधिक नुकसान पहुंचा था या फिर झड़प की शुरुआत उसकी ओर से हुई थी।
गलवान घाटी में पिछले वर्ष जून में ङ्क्षहसक झड़प के बाद जब तनाव बहुत बढ़ गया था तब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के ऊंचाई पर स्थित एवं दुर्गम इलाकों में दोनों देशों ने बड़ी संख्या में जंगी टैंक, बख्तरबंद वाहन और भारी भरकम उपकरणों की तैनाती की थी। पीएलए ने यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय की है जब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से दोनों देश अपने जवानों को हटा रहे हैं। भारतीय उच्चायोग ने किसानों के प्रदर्शनों को लेकर ब्रितानी सांसद के लिए जारी किया खुला पत्र
प्रवक्ता ने कहा ये चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया में हुई प्रगति के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'मेरी जानकारी के मुताबिक, यह प्रक्रिया सुगमता से आगे बढ़ रही है। हमें उम्मीद है कि दोनों देश आपस में बनी सहमति और हस्ताक्षरित समझौतों का सख्त अनुपालन करेंगे तथा सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सुगमता से पूरी होना सुनिश्चित करेंगे।'
उन्नाव मामले में विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा, पुलिस ने कहा मामले में विरोधाभासी बयान
10 फरवरी से शुरु हुआ काम उन्होंने कहा, 'राजनयिक और सैन्य माध्यमों से हुई कई दौर की वार्ताओं में दोनों देशों के बीच बनी सहमति के आधार पर पैंगोंग झील इलाके में अग्रिम मोर्चे से सैनिकों को पीछे हटाने का कार्य 10 फरवरी को साथ-साथ एवं योजनाबद्ध तरीके से शुरू कर दिया गया।' सैनिकों की वापसी की समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं इसकी कोई निश्चित समय सीमा से अवगत नहीं हूं। आप सेना से पूछ सकते हैं।'
दुनिया के इन देशों को भारत की ओर से तौहफा, कोरोना से जंग में 2 करोड़ से अधिक खुराक
दोनों देश में हुआ समझौता गौरतलब है कि नौ महीनों तक पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध बने रहने के बाद, दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों से पीछे हटने के समझौते पर पहुंची हैं। यह समझौता दोनों देशों के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित किये जा सकने वाले तरीकों से पीछे हटने का प्रावधान करता है। भारतीय थल सेना ने मंगलवार को कुछ छोटे वीडियो और तस्वीरें जारी की थी।
टिकैत ने किसानों से कहा- अपनी खड़ी फसल के बलिदान को तैयार रहिए
ऐसे खुली चीन की पोल इनमें पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो (झील) के आसपास के स्थानों से चीनी सेना द्वारा अपने सैनिकों की संख्या में कम किये जाने और उसके द्वारा अपने बंकर, शिविर और अन्य सुविधाओं को नष्ट करते देखा जा सकता है। वीडियो में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा कुछ संरचनाओं को समतल करने के लिए बुलडोजर का उपयोग करते हुए दिखाया गया है। साथ ही, इसमें चीन के सैनिकों को उपकरणों, वाहनों के साथ पीछे हटने की तैयारी करते भी दिखाया गया है।
यहां पढ़े अन्य बड़ी खबरें...
NASA ने मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा Perseverance रोवर, मिली बड़ी सफलता
रेल रोको : पंजाब, हरियाणा में पटरियों पर बैठे किसान, स्टेशनों पर रोकी गईं ट्रेन
पुडुचेरी की नई उपराज्यपाल का सीएम नारायणसामी को बहुमत साबित करने का निर्देश
पीरामल ग्रुप को DHfL के अधिग्रहण के लिए RBI की हरी झंडी
गौतम अडाणी के अडाणी ग्रुप को FPO के सफल होने का भरोसा
भारत ने रोमांचक मुकाबले में न्यूजीलैंड को हराया, श्रृंखला 1-1 से...
शेयर मार्केट में गिरावट के बीच LIC ने अडाणी पर बड़ा दांव लगाना जारी...
तेजस्वी और ललन से केसीआर के कार्यक्रम में शामिल होने के लिये कहा है :...
ससंद सत्र : महंगाई, रोजगार, अडानी विवाद, आर्थिक मुद्दों पर सरकार को...
सपा की 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल यादव और स्वामी...
कांग्रेस ने PSU और LIC के अडाणी समूह में निवेशों पर सवाल उठाए
BJP नेता श्याम जाजू ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाने पर AAP नेताओं को भेजा...
राहुल गांधी ने श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया
केंद्र दिल्ली को 1300 एमजीडी पानी मुहैया कराए तो 24 घंटे जलापूर्ति...