नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें यह बात हैरानी करती है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने उस वक्त उन पर निशाना साधते हुए बयान दिया जब उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में शिवसेना में टूट से जुड़े विषय पर अपना निर्णय दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अजित पवार इस बात का जवाब क्यों नहीं देते कि शिवसेना विधायकों की बगावत के समय विधानसभा उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए राकांपा नेता नरहरि जिरवाल ने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई।
इससे पहले, अजित पवार ने शिवसेना में टूट और महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने का हवाला देते हुए था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष पद से पटोले के इस्तीफे के बाद एमवीए ने तेजी से कदम उठाया होता तो शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग से जुड़ा विषय प्रभावी ढंग से हल कर लिया गया होता। पवार ने यह भी कहा था कि पटोल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विचार-विमर्श किए बिना ही विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था।
एमवीए सरकार के समय अजित पवार उप मुख्यमंत्री और पटोल विधानसभा अध्यक्ष थे। अजित पवार के बयान के बारे में पूछे जाने पर पटोले ने संवाददताओं से कहा, ‘‘अजित दादा ने जो बात कही है, उसका बड़ा ताज्जुब लगता है। उनके (राकांपा के) उपाध्यक्ष थे, उनकी जवाबदेही थी क्योंकि उनके पास विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी थी। अगर उस अधिकार का उपयोग क्यों नहीं किया गया तो इसका जवाब अजित पवार क्यों नहीं देते?'' उन्होंने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय ने जो फैसला किया है उसे समझने की जरूरत है।
पटोले ने राहुल गांधी से मुलाकात के संदर्भ में कहा, ‘‘आज यहां बैठक थी। महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में, संगठन के बारे में सकारात्मक चर्चा हुई। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में कांग्रेस फिर नंबर एक पार्टी कैसे बनें, इस पर बातचीत हुई।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर नैतिकता है तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस्तीफा दे देना चाहिए। हम तो बार-बार यह कह रहे हैं कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार असंवैधानिक है। मुझे नहीं लगता कि वे इस्तीफा देंगे क्योंकि ये सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। भाजपा में नैतिकता बची नहीं है।''
इससे पहले, अजित पवार ने कहा, “सबसे पहले, तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष (पटोले) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मशविरा किए बिना ही इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद ही इसकी घोषणा की गई थी। यह नहीं होना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ।” पवार ने कहा कि पटोले के इस्तीफे (फरवरी 2021 में) के बाद, महागठबंधन जिसमें राकांपा, कांग्रेस और अविभाजित शिव सेना भी शामिल थी, को विधानसभाध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा उठाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से, एमवीए के रूप में हम ऐसा करने में नाकाम रहे।”
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