नई दिल्ली/टीम डिजिटल। नागरिकता संशोधन कानून (CAA 2019) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) के खिलाफ उत्तर प्रेदश (Uttar Pradesh) में हो रहे हिंसक प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने सूबे की योगी सरकार (Yogi Government) और पुलिस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में उपद्रव के बाद अब पुलिस जुल्म कर रही है। इसके अलावा प्रियंका गांधी ने योगी सरकार, प्रशासन और पुलिस पर अराजकता फैलाने का भी आरोप लगाया।
प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के उपद्रवियों से बदला लिए जाने की बात पर ये कार्रवाई कर रही है। दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा था कि प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का 'बदला' लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद यह माना गया कि पुलिस उपद्रवियों के खिलाफ सख्ती बरतेगी। इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने सीएम योगी पर भी तंज कसते हुए कहा कि वह भगवा वस्त्र धारण करते हैं जो हमें शांति और करुणा सिखाता है, बदला लेना नहीं।
कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जी की प्रेस वार्ता कांग्रेस मुख्यालय लखनऊ सेhttps://t.co/8eI94j2doZ — Congress (@INCIndia) December 30, 2019
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राज्यपाल से मिला कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों में हाल में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के 'गैरकानूनी आचरण' की न्यायिक जांच की मांग की। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल आनंदीबेन से मुलाकात की और उन्हें 14 पेज का ज्ञापन सौंपा।
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पुलिस ज्यादती की न्यायिक जांच की मांग कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष लल्लू द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस का रवैया गैरकानूनी, नियमों को ध्वस्त करने वाला और ईमानदार नागरिकों का उत्पीड़न करने वाला था। ज्ञापन में मांग की गई है कि सीएए का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज किए गए सभी मुकदमों का निष्पक्ष आकलन हो और किसी सेवानिवृत्त या सेवारत जज की अगुवाई में एक स्वतंत्र आयोग इनकी निगरानी करे। यह भी मांग ज्ञापन में की गई है कि उन सभी लोगों को फौरन जमानत दी जाए जिन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ज्यादती और बर्बरता की पूर्ण न्यायिक जांच जरूरी है ताकि प्रशासन और पुलिस की ज्यादती का पता लग सके और इसमें मारे गए लोगों के परिवारों को इंसाफ मिल सके। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संविधान में दिया गया मौलिक अधिकार है और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए लोगों की जायदाद कुर्क करने का नोटिस तथा अन्य दंडात्मक कार्रवाई तब तक निलंबित रखी जानी चाहिए जब तक सक्षम और निष्पक्ष अधिकारियों द्वारा इन घटनाओं की समुचित जांच पूरी नहीं कर ली जाती।
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