नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस ने अडानी मुद्दे और मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल दागे हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने प्रेस वार्ता में कहा, 'हमने 5 फरवरी से 'हम अडानी के हैं कौन' की श्रृंखला में PM मोदी से 100 सवाल पूछे थे। हमने PM मोदी से अडानी मामले पर चुप्पी तोड़ने की बात कही थी। इस संबंध में हमने एक बुकलेट तैयार की है।''
LIVE: Congress party briefing by Shri @Jairam_Ramesh at AICC HQ. https://t.co/jzmpD5n53X — Congress (@INCIndia) June 1, 2023
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उन्होंने कहा, 'कुछ चुने हुए पूंजीपतियों के फायदे के लिए 2018-19 में नियमों को बदलकर पारदर्शिता को खत्म किया गया। SEBI ने 'हम अडानी के हैं कौन' और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के कारण अपना रवैया बदला है। अडानी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ किसके हैं, ये असली सवाल है। मोडानी घोटाले की सच्चाई JPC के द्वारा सामने आएगी और हम इसकी मांग करते रहेंगे।'
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 'Piquant' शब्द का इस्तेमाल किया। कमेटी के कहने का अर्थ था कि SEBI ने पुराना नियम हटाकर गलत किया। यानी पहले Dilute हुआ, फिर Delete हुआ। लेकिन इस नियम के हटने का एक ही लाभार्थी था- वो है अडानी।'
कुछ चुने हुए पूंजीपतियों के फायदे के लिए 2018-19 में नियमों को बदलकर पारदर्शिता को खत्म किया गया। SEBI ने 'हम अडानी के हैं कौन' और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के कारण अपना रवैया बदला है। अडानी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ किसके हैं, ये असली सवाल है। मोडानी घोटाले की सच्चाई… pic.twitter.com/JA4jaUlLmo — Congress (@INCIndia) June 1, 2023
कुछ चुने हुए पूंजीपतियों के फायदे के लिए 2018-19 में नियमों को बदलकर पारदर्शिता को खत्म किया गया। SEBI ने 'हम अडानी के हैं कौन' और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के कारण अपना रवैया बदला है। अडानी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ किसके हैं, ये असली सवाल है। मोडानी घोटाले की सच्चाई… pic.twitter.com/JA4jaUlLmo
संसद में जेपीसी की मांग जारी रखेंगे: कांग्रेस कांग्रेस ने ऊंचे जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करने संबंधी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रस्ताव को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि अडाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए पहले जिन नियमों को हटाया गया था, उन्हें अब वापस लाया जा रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अडाणी समूह से जुड़े मामले में कांग्रेस, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग संसद के आगामी मानसून सत्र में उठाएगी तथा इस विषय पर सभी विपक्षी दल एकजुट हैं। उनका यह भी कहना था कि उम्मीद की जाती है कि सेबी का यह नया कदम आंखों में धूल झोंकने के लिए नहीं है और पहले के निवेश भी इसके दायरे में आएंगे।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने ऊंचे जोखिम वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है। इससे न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) की जरूरत को लेकर किसी तरह की कोताही से बचा जा सकेगा। रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों के लिए नियम होते हैं। इन नियमों से पता चलता था कि विदेशी निवेशकों के पीछे का असली/मुख्य निवेशक कौन है? लेकिन 31 दिसंबर, 2018 को इन नियमों को कमजोर किया गया, फिर 21 अगस्त 2019 को नियमों को हटा दिया गया।''
उन्होंने दावा किया, ‘‘जब नियम हटे तो शेल कंपनियां बनीं, शेयर बाजार में विदेशी निवेशक आए लेकिन इनके पीछे कौन है, ये पता नहीं चल पाया। नतीजा यह हुआ कि शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ कहां से आए, इसकी कोई जानकारी नहीं है।'' रमेश का कहना था, ‘‘अब सेबी ने परामर्श पत्र जारी कर पुराने नियमों को वापस लाने की बात कही है। अडाणी मामले में गठित हुई उच्चतम न्यायालय की समिति ने भी कहा कि नियमों के हटने से हमें बहुत नुकसान पहुंचा है।'' उन्होंने दावा किया, ‘‘ कुछ चुने हुए पूंजीपतियों के फायदे के लिए 2018-19 में नियमों को बदलकर पारदर्शिता को खत्म किया गया। सेबी ने 'हम अडाणी के हैं कौन' और उच्चतम न्यायालय की समिति के कारण अपना रवैया बदला है। अडाणी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ किसके हैं, ये असली सवाल है।''
कांग्रेस नेता ने यह सवाल भी किया, ‘‘नियम क्यों हटाया गया और किसके दबाव में हटाया गया?'' रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘कहा जाता है कि मोदी सरकार ने ‘लाभार्थी' नाम का एक नया वर्ग खड़ा कर दिया है, लेकिन इस नियम को हटाने का एक ही लाभार्थी था और वो है अडाणी समूह।'' रमेश ने कहा, “सेबी का कदम हमारी प्रश्न श्रृंखला ‘हम अडाणी के हैं कौन' की भी पुष्टि करता है, जिसके तहत हमने प्रधानमंत्री से 100 सवाल पूछे थे। हालांकि, वह अभी भी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।”
कांग्रेस ने इस मौके पर ‘हम अडाणी के हैं कौन, प्रधानमंत्री से 100 सवाल' शीर्षक वाली पुस्तिका भी प्रकाशित की है। रमेश ने कहा, ‘‘इस ‘मोडानी घोटाले' की सच्चाई जेपीसी के द्वारा सामने आएगी और हम इसकी मांग करते रहेंगे। संसद के नए भवन में जब मानसून सत्र होगा तो हम यह मांग उठाएंगे।'' एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि जेपीसी की मांग को लेकर विपक्षी दल एकजुट हैं। अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च' की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडाणी समूह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद से कांग्रेस लगातार इस मामले को उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है। अडाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने और कुछ अन्य घोषणाएं किए जाने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि इन कदमों का स्वागत है, लेकिन ये कुछ सप्ताह पहले क्यों नहीं उठाए गए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के इस प्रदेश को एक महीने तक जलने क्यों दिया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। लगातार तीन दिनों तक राज्य के विभिन्न हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने और राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों से चर्चा के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में शाह ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुईया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति के गठन की घोषणा की।
'हम अडानी के हैं कौन' की श्रृंखला में PM नरेंद्र मोदी से पूछे गए सवालों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए @dubeyamitabh जी.. pic.twitter.com/p0d11cOUPz — Congress (@INCIndia) June 1, 2023
'हम अडानी के हैं कौन' की श्रृंखला में PM नरेंद्र मोदी से पूछे गए सवालों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए @dubeyamitabh जी.. pic.twitter.com/p0d11cOUPz
साथ ही उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवजे व राहत और पुनर्वास पैकेज का भी ऐलान किया। रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री ने मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आज कई कदमों की घोषणा की। इनका स्वागत है।'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह काम गृह मंत्री ने कुछ सप्ताह पहले क्यों नहीं किया? मोदी सरकार ने एक महीने तक मणिपुर को जलने क्यों दिया? क्या केवल मणिपुर का वोट कीमती है, वहां के लोगों का जीवन कीमती नहीं है?''
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘आरएसएस के एजेंडे, राज्य की भाजपा सरकार के द्वेषपूर्ण कदम और केंद्र सरकार की निष्क्रियता के कारण मणिपुर में आज विभाजन की स्थिति है। जो कुछ भी मणिपुर में हुआ है उसका असर पूरे पूर्वोत्तर पर है।'' उन्होंने यह दावा भी किया कि मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘चुप्पी' हैरान करने वाली नहीं है।
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