नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने वाले जनता दल (सेकुलर) की धर्मनिरपेक्ष साख पर शुक्रवार को सवाल उठाया और कहा कि दोनों दलों के एक साथ आने से 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की अपनी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी जद (एस) के अब बेनकाब होने का दावा करते हुये कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंक खरगे ने इस गठजोड़ पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा नवगठित गठबंधन में जद (एस) की ‘बी-टीम' है।
भाजपा और जद (एस) के बीच गठबंधन को लेकर कई दिनों से चर्चा थी । इस क्षेत्रीय पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद आज इसे अंतिम रूप दिया गया। भाजपा जद (एस) गठबंधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये खरगे ने कहा, ‘‘इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है । देखा जाए तो कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद भाजपा अनमने ढंग से चल रही थी, और यह बिल्कुल स्पष्ट था कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य नेतृत्व पर अपना पूरा भरोसा खो दिया है। इसीलिए उन्होंने न तो विधान परिषद में और न ही विधानसभा में विपक्ष के नेता का नाम घोषित किया है।''
खरगे ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, ‘‘अब यह बहुत स्पष्ट है कि जद (एस) मुख्य साझेदार है और भाजपा क्षेत्रीय पार्टी की बी-टीम है ।'' उन्होंने कहा, ‘‘इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जद (एस) को चुनाव आयोग को (पत्र) लिखकर पार्टी के नाम से ‘धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटा देना चाहिए, क्योंकि तरफ तो आप धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं और दूसरी तरफ आप आगे बढ़कर स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे सांप्रदायिक पार्टी से हाथ मिला रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि भाजपा और जद(एस) चाहे कितना भी सौहार्द और भाईचारा दिखाए, कर्नाटक में इसका कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी जीतने जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जद(एस) आज बेनकाब हो गई है, वे दावा करते रहे कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं और बहुत से लोगों को पहले से मूर्ख बना रहे थे। अगर आप इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो जद(एस) के कारण ही कर्नाटक में भाजपा सत्ता में आई थी और फिर से वे वही गलती दोहरा रहे हैं ।'' कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि भाजपा-जद (एस) गठबंधन का कांग्रेस पर कोई असर नहीं होगा और विश्वास जताया कि आगामी आम चुनाव में उनकी पार्टी प्रदेश में 20 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेगी ।
परमेश्वर ने कहा, ‘‘हम लोकसभा चुनाव में भी अपना वोट प्रतिशत (42.88 फीसदी) बरकरार रखेंगे, जो हमें विधानसभा चुनाव के दौरान मिला था । हमें नहीं लगता है कि उनका गठबंधन हमारे लिये कोई बाधा उत्पन्न करेगा । जद (एस) का कांग्रेस के साथ भी गठबंधन था लेकिन अंतत: परिणाम क्या हुआ, प्रदेश के लोग यह जानते हैं । उन्होंने कहा कि जद(एस) के नेताओं को निश्चित तौर पर यह परिभाषित करना चाहिये कि धर्मनिरपेक्षता क्या है ।
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ करते हुए 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि उसके समर्थन से एक निर्दलीय उम्मीदवार (एस अंबरीश, मांड्या सीट पर) ने विजय हासिल की थी। कांग्रेस और जद (एस) को एक-एक सीट पर जीत मिली थी। हालांकि इस साल मई में 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीट जीती जबकि भाजपा ने 66 और जद(एस) ने 19 सीटों पर विजय हासिल की। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जद(एस) ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।
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