नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व पार्टी विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर ने रविवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दिन सबसे पहले टीका लगवाते तो देश के लोगों में विश्वास का संचार होता। माथुर ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरह सबसे पहले टीका लगवाते तो इससे टीके के प्रति देश के लोगों में अधिक विश्वास पैदा होता।
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उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी सबसे पहले टीका लगवाते तो बेहतर होता, लोग अब भी टीका लगवाने से हिचक रहे हैं। नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन के बारे उन्होंने कहा‘‘अब श्री राम इनके काम नहीं आएंगे। इनको किसानों की हाय लगेगी। मोदी सरकार जिस तरह से किसानों के प्रति असंवेदनशीलता दिखा रही है, उसे उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, मगर अब ऐसा लगता है कि वह पूंजीपतियों की शह पर काम कर रही है।‘‘
क्या गरीबों और वंचितों को मुफ्त में लगेगा टीका भारत में कोविड-19 का टीकाकरण अभियान शुरू होने के एक दिन बाद कांग्रेस ने रविवार को पूछा कि क्या सरकार की सभी भारतीयों को, खासकर वंचितों और गरीबों को मुफ्त टीका लगाने की योजना है और यह कब लगाया जाएगा? कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार दावा करती है कि टीकाकरण अभियान के पहले चरण में तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा, लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि क्या भारत की शेष आबादी को टीका लगाया जाएगा और क्या यह मुफ्त लगाया जाएगा?
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उन्होंने कहा, ‘‘क्या सरकार को नहीं पता कि 81.35 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी वाले राशन के हकदार हैं? क्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों, गरीबों और वंचितों को टीका मुफ्त में लगाया जाएगा या नहीं? अगर हां तो टीकाकरण की क्या योजना है और कब तक सरकार नि:शुल्क टीकाकरण कराएगी।’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को जवाब देना होगा। मुफ्त कोरोना टीका किसे लगेगा? कितने लोगों को मुफ्त कोरोना टीका लगेगा? मुफ्त टीका कहां लगेगा?’’
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कांग्रेस नेता ने कोविड-19 के दो टीकों ‘कोवैक्सीन’ और ‘कोविशील्ड’ के मूल्य को लेकर भी सवाल खड़े किये। भारत बायोटेक द्वारा स्वदेश विकसित कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित तथा भारत में एसआईआई द्वारा निर्मित कोविशील्ड को देश में सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। कांग्रेस महासचिव ने पूछा कि सरकार को भारत बायोटेक को उस टीके के लिए 95 रुपये अधिक क्यों देने चाहिए जिसे भारतीय आयुॢवज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों के अनुभव और विशेषज्ञता के साथ विकसित किया गया है।
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उन्होंने कहा, ‘‘क्या ऐसे टीके की कीमत एस्ट्राजेनेका-सीरम इंस्टीट््यूट के टीके से कम नहीं होनी चाहिए? खुले बाजार में कोरोना के टीके की कीमत 1,000 रुपये क्यों है।’’ सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को कंपनियों से उत्पादन की लागत और टीके से हो रहे मुनाफे पर पारदर्शिता बरतने को कहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘टीके का विकास और सामूहिक टीकाकरण ना तो कोई इवेंट है और ना ही प्रचार का हथकंडा, बल्कि ये जनता की सेवा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं।’’ उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत अपने अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं को कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक साथ खड़ा है, वहीं यह भी याद रखा जाए कि टीकाकरण एक महत्वपूर्ण जनसेवा है और राजनीतिक या कारोबारी अवसर नहीं है।’’
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