नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडाणी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी को करनी चाहिए, क्योंकि भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा इन संस्थानों की जिम्मेदारी है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि इस कारोबारी समूह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच नजदीकी रिश्ते हैं और इस समूह को इसका फायदा हुआ है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘सामान्य परिस्थितियों में एक राजनीतिक दल को किसी निजी कंपनी अथवा व्यापारिक समूह पर हेज फंड द्वारा तैयार की गई किसी शोध रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, परंतु हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के संबंध में किए गए फॉरेंसिक विश्लेषण पर कांग्रेस पार्टी द्वारा अपनी प्रतिक्रिया देना बनता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अडाणी समूह के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वविदित रिश्ते तब से हैं, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।''
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Hindenburg has put out a damning report on the Adani group which has reacted predictably. Here is my statement on this serious matter that requires a thorough investigation in the public interest. pic.twitter.com/gfmgmKPx4e — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 27, 2023
Hindenburg has put out a damning report on the Adani group which has reacted predictably. Here is my statement on this serious matter that requires a thorough investigation in the public interest. pic.twitter.com/gfmgmKPx4e
रमेश का कहना है, ‘‘इसके अतिरिक्त वित्तीय प्रणाली का स्तंभ माने जाने वाले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जैसे वित्तीय संस्थानों के अडाणी समूह के साथ उच्चतम स्तर के जोखिमपूर्ण लेन-देन का वित्तीय स्थिरता और करोड़ों भारतीयों की बचत राशि पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यहां पर यह बात भी उल्लेखनीय रूप से ध्यान देने योग्य है कि पूर्व में प्रस्तुत रिपोर्ट में भी अडाणी समूह को "क्षमता से अधिक ऋण उठाने वाले समूह" के रूप में दर्शाया गया है। इन सभी आरोपों की भारतीय रिजर्व, बैंक सेबी जैसी भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा गहन जांच किए जाने की आवश्यकता है।''
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रमेश ने दावा किया, ‘‘वित्तीय गड़बड़ी के आरोप तो अत्यंत गंभीर हैं ही, लेकिन इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार ने एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसी अति महत्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा अडाणी समूह में किए गए अंधाधुंध निवेश के माध्यम से भारत की वित्तीय प्रणाली गंभीर प्रणालीगत संकट में पड़ सकती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इन संस्थानों ने अडाणी समूह को कुछ ज्यादा ही वित्त पोषित किया है, जबकि निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों ने कॉर्पोरेट गवर्नेंस और कर्ज से जुड़ी चिंताओं के कारण अडाणी समूह में निवेश करने से परहेज़ किया। एलआईसी प्रबंधन के 8 प्रतिशत शेयर यानि 74,000 करोड़ रुपये की विशाल राशि का निवेश अडाणी समूह की कंपनियों में किया गया है, जो इसकी दूसरी सबसे बड़ी होल्डिंग है।''
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रमेश के मुताबिक, सरकारी बैंकों ने अडाणी समूह को निजी बैंकों की तुलना में दोगुना ऋण दिया है, जिसमें 40 प्रतिशत ऋण अकेले एसबीआई द्वारा दिया गया है। इस गैर जिम्मेदाराना रवैये ने एलआईसी और एसबीआई में अपनी बचत राशि डालने वाले करोड़ों भारतीयों को गंभीर वित्तीय जोखिम में डाल दिया है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ मोदी सरकार सेंसरशिप लगाने का प्रयास कर सकती है, लेकिन भारतीय व्यवसायों और वित्तीय बाजारों के वैश्वीकरण के युग में क्या कॉरपोरेट कुशासन की ओर ध्यान आकर्षित करवाने वाली हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्ट को आसानी से दरकिनार किया जा सकता है और उन्हें केवल "दुर्भावनापूर्ण" कहकर ख़ारिज किया जा सकता है?'' अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह पर कई आरोप लगाए हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट जारी
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह पर ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी' में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। आरोप के बाद विविध कारोबार से जुड़े अडाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई। अडाणी समूह ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे' काम करने के लिये अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई' को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है। वहीं, अमरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है।
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