नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को कर्ज देने वाले 27 बैंकों के गठजोड़ ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उनके द्वारा दिया गया धन जमाकर्ताओं का है और ‘‘सार्वजनिक हित’’ में एफआरएल की पूरी संपत्ति को हासिल करने के लिए अमेजन और रिलायंस 17,000 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य के साथ खुली बोली लगा सकती हैं। एफआरएल ने अपनी याचिका में कहा था कि बैंकों को निर्देश दिया जाए कि कर्ज का भुगतान न करने पर एक निश्चित अवधि तक उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि एफआरएल की याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया और कंपनी के अनुरोध पर सुनवाई को स्थगित कर दिया।
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एफआरएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि सुनवाई को एक सप्ताह या 10 दिनों के लिए टाल दिया जाए, ताकि कंपनी बकाया भुगतान पर किसी तरह का समझौता करने की कोशिश कर सके। साल्वे ने कहा, ‘‘कृपया मुझे एक सप्ताह या दस दिन दें और मुझे बैंकों से बात करने की कोशिश करने दें और मैं उन्हें कुछ आश्वासन दे सकता हूं और कुछ समय तक रोक सकता हूं।’’
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पीठ ने साल्वे की बात को संज्ञान में लिया और कहा कि सुनवाई को टाला जा सकता है, क्योंकि यह एफआरएल की ही याचिका थी। पीठ में न्यायामूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायामूर्ति हेमा कोहली भी शामिल हैं। बैंकों के संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि एफआरएल की याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि अनुबंधों को तोडऩे पर कार्रवाई करने वाले बैंकों के खिलाफ मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैंकों के अनुबंधों में जमाकर्ताओं के हित शामिल हैं और इसलिए यह जनहित से संबंधित है, जिसे पहले बचाने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमारा कर्ज 17,000 करोड़ रुपये का है। यदि इसे आगे बढ़ाया जाता है, जैसा कि एफआरएल ने अनुरोध किया है, तो कर्ज बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो जाएगा ... और ये भी पक्का नहीं है कि यह (एफआरएल) अमेजन या रिलायंस को मिलेगा या नहीं। ऐसे में हम एक अनिश्चित मुकदमा देख रहे हैं।’’ अगर अमेजन जीतती है, तो 7000 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन एफआरएल को दिया गया हमारा कर्ज 17,000 करोड़ रुपये का है। द्विवेदी ने आगे कहा, ‘‘अगर रिलायंस जीत जाती है, तो फ्यूचर को 25,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन पूरे समूह के लिए। इसलिए दोनों मामले में बैंकों को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता लागू करनी होगी।’’
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उन्होंने सुझाव दिया कि एफआरएल की पूरी संपत्ति के लिए अमेजन और रिलायंस 17,000 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य के साथ खुली बोली लगा सकती हैं और शीर्ष अदालत में सीलबंद लिफाफे में बोलियां जमा की जा सकती हैं। द्विवेदी ने कहा, ‘‘जो भी ऊंची बोली लगाएंगे, उन्हें लेने दीजिए। हमें हमारा पैसा मिलेगा और जो ऊंची बोली लगाएगा उसे फ्यूचर मिलेगा।’’ साल्वे ने कहा कि एफआरएल सुझाव से सहमत है, लेकिन अमेजन एक विदेशी बहु-ब्रांड कंपनी है और इस नाते एक भी रुपया जमा नहीं कर सकती है। अमेजन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने हालांकि कहा कि अमेरिकी फर्म को बैंकों के साथ इस मामले पर चर्चा करने में कोई समस्या नहीं है।
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