Sunday, Jun 04, 2023
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construction of asia longest tunnel connecting srinagar leh ladakh begins rkdsnt

श्रीनगर-लेह-लद्दाख को जोड़ने वाली एशिया की सबसे लंबी सुरंग का निर्माण कार्य शुरू

  • Updated on 10/15/2020

नई दिल्ली/नवोदय टाइम्स ब्यूरो। अटल टनल (रोहतांग टनल) (Atal Tunnel, Rohtang Tunnel) के तैयार होने के बाद रणनीतिक रूप से सबसे अहम जोजिला दर्रे पर 14.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने का काम वीरवार से शुरू हो गया। इसे एशिया की सबसे लंबी सुरंग बताया जा रहा है। जोजिला पास पर अभी जो दूरी 3.5 घंटे की है, सुरंग बनने से महज 15 मिनट में तय की जा सकेगी। परियोजना की कुल 6,808.63 करोड़ रुपये है। कार्य मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड स्ट्रक्चर लिमिटेड कर रही है। अवलांच प्रोटेक्शन स्ट्रक्चर्स वाली इस सुरंग से लद्दाख क्षेत्र में अब हर मौसम में निर्बाध आवागमन हो सकेगा।
 
3 घंटे का सफर 15 मिनट में पूरा कराएगी जोजिला सुरंग
केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जोजिला दर्रे के पहाड़ पर बटन दबा कर विस्फोट कर सुरंग निर्माण का शुभारंभ किया। इस मौके पर गडकरी ने बताया कि परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में की गई थी। 2013 में बीआरओ ने डीपीआर तैयार करके दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में लेह में इसकी आधारशिला रखी थी। उन्होंने कहा कि परियोजना को दो चरणों में अगले छह वर्ष में पूरा किया जाना है।

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हालांकि निर्माणकर्ता कंपनी से आग्रह किया गया है कि अगले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले से पूरा कराए ताकि प्रधानमंत्री के हाथों इसका उद्घाटन कराया जा सके। गडकरी ने बताया कि शुरुआत में ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड टनल तक संपर्क मार्ग की एकीकृत लागत 10643 करोड़ रुपये आंकी गई थी। बाद में संशोधित आंकलन 4509.5 करोड़ रुपये का बना, जिसके आधार पर एकीकृत परियोजना (सुरंग और संपर्क मार्ग) की कुल लागत 6808.63 करोड़ रुपये तय हुई है। उन्होंने बताया कि इस तरह परियोजना में 3835 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है।

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द्रास और कारगिल के रास्ते श्रीनगर तथा लेह को जोड़ने वाले 14.15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण 3000 मीटर की ऊंचाई पर ज़ोज़िला पास के नीचे किया जा रहा है। वर्तमान में इस रास्ते पर सर्दियों में बर्फबारी के चलते केवल 6 महीने ही आवागमन हो पाता है। यह मार्ग वाहन चलाने के संदर्भ में दुनिया के सबसे खतरनाक रस्तों में से एक है। सियाचीन से पाकिस्तान और लेह-लद्दाख से लगी चीन सीमा पर लगातार तनावों के मद्देनजर जोजिला सुरंग सेना के साथ-साथ आम लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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एनएच-1 पर बनने वाली इस सुरंग से श्रीनगर घाटी और लेह (लद्दाख पठार में) के साथ देश के बाकी हिस्से से सभी मौसम में सुरक्षित और निर्बाध आवागमन हो सकेगा। इससे जम्मू कश्मीर में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। गडकरी ने बताया कि टनल की डिजाइन 80 किमी प्रति घंटा के हिसाब से की गई है। परियोजना में ज़ेड-मोड़ टनल के आखिर से ज़ोज़िला टनल के आरंभिक बिन्दु के बीच 18 किमी लंबी सड़क होगी, जिसमें अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गैलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम आदि शामिल होंगे। इससे दोनों टनलों के बीच सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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---परियोजना का महत्व-
ज़ोज़िला टनल निर्माण की श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्र के निवासियों की 30 साल पुरानी मांग है। इसके बनने से सभी मौसम में निर्बाध रूप से सुरक्षित यात्रा के साथ क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। लद्दाख, गिलगित और बालटिस्तान की सीमाओं पर भारी सैन्य गतिविधियों के चलते देश की रक्षा रणनीति के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है। परियोजना के पूरा होने पर एनएच-1 के श्रीनगर-कारगिल-लेह खंड पर अवलांच मुक्त यात्रा महज 15 मिनट में पूरी की जा सकेगी, जो अभी तीन घंटे लगते हैं।

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---टनल की सुरक्षा विशेषताएं-
टनल के भीतर दोनों ओर हर 750 मीटर पर आपातकालीन स्थिति में ठहरने के लिए सुरक्षित स्थान होगा। साथ में फोन और आग बुझाने का प्रबंध हर 125 मीटर पर रहेगा। मैनुअल फायर अलार्म और पोर्टेबल आग बुझाने का यंत्र सभी वाहन चालकों के लिए अनिवार्य होगा। सुरक्षित आवागमन के लिए दोनों छोरों के प्रवेश द्वार के साथ ही संपूर्ण टनल में प्रकाश का प्रबंध होगा। सीसीटीवी कैमरा, टनल में दीवारों पर निगरानी कैमरे स्थापित और टनल के पहले और बाद के मार्ग खंड पर कैमरे लगाए जाएंगे। साथ ही टनल में आग को पहचानने और उसे बुझाने का स्वचालित लीनियर हीट डिटेक्शन सिस्टम लगेगा।

 

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