Thursday, Jun 01, 2023
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contact tracing became an important weapon in corona war sohnst

कोरोना से जंग में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बना अहम हथियार, जानिए क्या है कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग?

  • Updated on 4/27/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कोरोना वायरस से जंग में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग सबसे ज्यादा मददगार साबित हो रहा है। जिससे न सिर्फ वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाया जा रहा है, बल्कि ऐसे लोग जो संक्रमित के संपर्क में आये हैं, उनकी खोज भी की जा रही है। खास बात यह है कि इस कार्य में आरोग्य सेतु ऐप भी काफी मददगार साबित हो रहा है।

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 छुप रहे थे कोरोना संक्रमित लोग 
दरअसल पिछले दिनों काफी लोग जो विदेश से आए थे, या जिनमें वायरस के लक्षण थे, वो छुप रहे थे और अपने संपर्कों को भी छुपा रहे थे। यह भी बताने से कतरा रहे थे कि वे कहां गए और क‍िस-क‍िस से म‍िले, आदि। लेकिन स्वास्थ्‍य मंत्रालय ने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और इमिग्रेशन सेंटर से विदेशों से आने वाले सभी यात्रियों का डाटा लिया और अलग-अलग माध्‍यम से उनसे संपर्क किया गया।

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9 लाख से अधिक लोगों पर रखी जा रही है नजर
यही नहीं कम्‍युनिटी स्तर पर भी जैसे-जैसे मरीज आते गये, उनके संपर्क में आये लोगों का डाटा भी एकत्र किया जाता रहा। और इसी के देखते ही देखते नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने सर्विलांस और रिस्‍पॉन्‍स सिस्‍टम स्थापित कर दिया। इस सिस्टम के जरिए आज देश भर में 9 लाख से अधिक लोगों पर नजर रखी जा रही है। इन में न केवल कोविड के मरीज हैं, बल्कि उनके संपर्क में आये लोग भी शामिल हैं।  

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क्या है कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों की निगरानी प्रक्रिया को कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कहा जाता है। कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के सम्पर्क में आने से ये संक्रमण दूसरों को आसानी से हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों के संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है। इसलिए जो लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों उन्हें 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों पर ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि उनकी देखभाल की जा सके और जरूरत पड़ने पर जल्दी से उपचार किया जा सके।

कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग तीन प्रकार की होती है

संपर्क की पहचान
जब किसी व्यक्ति के वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हो जाती है तो बीमारी की शुरुआत के बाद से उसकी गतिविधियों के बारे में पूछकर उसके संपर्क में आए लोगों के बारे में जाना जाता है।

संपर्क सूची
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को सूचीबद्ध किया जाता है। उन्हें खुद आइसोलेट होने को कहा जाता है और लक्षण आने पर मेडिकल टीम से संपर्क करने को कहा जाता है। संपर्क में आए लोगों को बीमारी की रोकथाम के बारे में भी जानकारी दी जाती है। 

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संपर्क में आए व्यक्ति का फॉलोअप 
संपर्क में आए सभी व्यक्तियों से स्वास्थ्य अधिकारी नियमित रूप से सपंर्क में बने रहते हैं। उनके लक्षणों पर निगरानी करते हैं कि कहीं उनमें वायरस के लक्षण तो नहीं आ रहे। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कोरोना वायरस को रोकने के लिए बहुत आवश्यक है।

कैसे मदद कर रहा आरोग्य सेतु ऐप 
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान, नई दिल्ली के डॉ नंद कुमार का कहना है कि कई बार अगर आप जरूरी काम से बाहर जाते हैं या कार्यालय जाते हैं तो आपको पता नहीं होता कि वहां संक्रमण का कितना खतरा है। ऐसे में जहां आस-पास संक्रमित होते हैं, वहां यह ऐप आपको अलर्ट कर देता है। उन इलाकों के बारे में अलर्ट देता है जहां संक्रमण ज्यादा है। सबसे खास बात यह है कि ब्लूटूथ के माध्यम से कॉन्‍टेक्ट ट्रेसिंग में मदद करता है। अगर कोई व्‍यक्ति संक्रमित हो गया, तो यह ऐप उसके संपर्क में आने वाले सभी लोगों के बारे में बता देता है।

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वहीं आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. मनोज नेसारी कहते हैं कि आरोग्य सेतु ऐप मोबाइल में रखने से आप संक्रमण से काफी हद तक दूर रहेंगे। इसमें सावधानियों के बारे में भी बताया जाता है। साथ ही ऐप में सभी जरूरी बातें अपडेट की जाती हैं। देश के ज्यादा से ज्यादा लोग अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु का प्रयोग कर संक्रमण से बचे रह सकते हैं।

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