नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण आज भारत में करोड़ो नौकरियों के जाने का खतरा मंडराने लगा है। जिससे सरकार के सामने बड़ी चुनौती उस समय खड़ी होगी जब लॉकडाउन को खत्म करने का ऐलान किया जाएगा। कारण इस जारी लॉकडाउन को ही अभी 1 महीने बीते है,इस दौरान ही देश के एविएशन सेक्टर, होटल एवं रेस्टोरेंट, एमएसएमई और टूरिजम पर सीधा करारा चोट किया है। जिससे इस सेक्टरों को उबरने में वर्षों लग जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा।
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पहली बार 22 मार्च को लगा था जनता कर्फ्यू
दरअसल देश में 22 मार्च को ही एक तरह से लॉकडाउन की अघोषित घोषणा हो गई थी। जब पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को रात 8 बजे देश की जनता से आगामी रविवार को जनता कर्फ्यू को सफल बनाने की गुजारिश की थी। उसके बाद 24 मार्च को ही लॉकडाउन की घोषणा हो गई। तब से आज 5 सप्ताह बीत चुके है लेकिन कोरोना का कहर कम तो नहीं हुआ है बल्कि दिन ब दिन भयावह तस्वीर ही देश भर से सामने आ रही है।
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मंदी की आहट हुई शुरु
तो सवाल उठता है कि आखिर इस जारी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा घाटा कौन-सा क्षेत्र को हुआ है? इसमें एविएशन का नाम सबसे उपर होगा। देश और विदेश से यात्रियों को आने-जाने में मददगार विमान सेवा पूरी तरह जमींदोज हो चुकी है। माना जा रहा है कि एविएशन क्षेत्र के लिये 2008-09 मंदी से भी गहरा चोट कोरोना वायरस ने दिया है। इस सेक्टर में काम कर रहे लोगों की सैलरी में कटौती से लेकर छंटनी तक शुरु हो गई है। जिससे हजारों नौकरियों के जाने का आशंका गहरा गया है। दूसरी तरफ होटल और रेस्टोरेंट भी बंद हो चुके है। लॉकडाउन के खुलने के बाद भी लोगों के होटलों में जाकर खाने की पुरानी आदत को शुरु करना इतना आसान नहीं होगा। जिससे इस सेक्टर में काम कर रहे लोगों के करियर भी खतरे में पड़ गए है।
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एविएशन से रेस्टोरेंट तक कोरोना की पड़ी मार
दूसरी तरफ देश भर के लघु एवं मध्यम उद्यमों में कार्यरत 11 करोड़ लोगों को नौकरी मिला हुआ है। जिससे अब इनके नौकरी जाने का भी डर सता रहा है। उसी तरह टूरिज्म इंडस्टी को भी जबरदस्त धक्का लगा है। अगले कई सालों तक शायद ही लोग अपने देश से विदेश या देश में पर्यटन स्थल पर जा सकेंगे। जिससे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की भी सरकार को ध्यान रखना होगा। बहरलाल पीएम नरेंद्र मोदी को लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी काफी सारी चुनौतियों का सामना करना होगा, जो उनका बेसब्री से इंतजार कर रही है। जिसमें देश के युवाओं के बड़े पैमाने पर बेरोजगार होने से निपटना सबसे पहले होगा।
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