Sunday, Oct 01, 2023
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Corona infection has now created a new problem

कोरोना संक्रमण ने अब पैदा की नई समस्या

  • Updated on 9/16/2021

 बन रहा है गॉल ब्लैडर में गैंग्रीन की वजह
 पांच मामले आये सामने

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 
राजधानी में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है लेकिन कोविड से उबर चुके लोगों की समस्याएं खत्म नहीं हुई है। सूबे के एक निजी अस्पताल में ऐसे पांच मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। विशेषज्ञ इस समस्या को देश की पहली केस सीरीज करार दे रहे हैं। लोग अब गॉल ब्लैडर गैंग्रीन की चपेट में आने लगे हैं।

गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज के चेयरमैन प्रो. अनिल अरोड़ा के मुताबिक जून से अगस्त के बीच गॉल ब्लैडर गैंग्रीन के पांच रोगियों को अस्पताल में भर्ती किया गया। समय रहते उनका सफलतापूर्वक उपचार किया गया। 

 मरीज संक्रमण और पित्त की पथरी और पित्ताशय की गंभीर सूजन के साथ अस्पताल लाये गए। इस समस्या को चिकित्सा विज्ञान की भाषा मे अकलकुलस कोलेसिस्टिटिस कहा जाता है। जिसके कारण पित्ताशय की थैली में गैंग्रीन की तत्काल सर्जरी की आवश्यकता होती है।

उत्तर भारत में 8 प्रतिशत लोग प्रभावित :
प्रो. अरोड़ा के मुताबिक पित्ताशय की पथरी की बीमारी उत्तर भारत (सामान्य आबादी का 8%) में एक बहुत ही आम समस्या है। यह कोलेसिस्टिटिस नामक तीव्र सूजन के 90 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार होता है। सिर्फ 10 प्रतिशत रोगियों में गॉल ब्लैडर की गैर-कैलकुलस सूजन होती है।

37-75 आयुश्रेणी वाले पीड़ित :
प्रो. अनिल अरोड़ा के मुताबिक मरीज 37-75 वर्ष के थे। चार पुरुष थे। जिनमें एक महिला थी।

इन लक्षणों से पीड़ित थे मरीज :
सभी रोगियों को बुखार, पेट के दाहिने ऊपरी चौथाई हिस्से में दर्द और उल्टी की समस्या थी। इनमें से दो मरीजों को मधुमेह और एक को हृदय रोग भी था। तीन रोगियों को कोविड-19 लक्षणों के प्रबंधन के लिए स्टेरॉयड दिए गए थे।

डायग्नोसिस में लगे 2 महीने :
कोविड -19 लक्षणों और अकलकुलस कोलेसिस्टिटिस की डायग्नोसिस (निदान) के बीच की औसत अवधि दो महीने थी। इन रोगियों में निदान की पुष्टि पेट के अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन से हुई। जिसके बाद लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिये पित्ताशय की थैली को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। 

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