नई दिल्ली/टीम डिजिटल। निजी अस्पतालों में बिल ओवरचार्जिंग के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। ताजा मामले में सूबे के एक निजी अस्पताल में कोरोना के उपचार के बदले मरीज को 1 करोड़ 80 लाख का बिल थमाने और ओवरचार्जिंग के आरोप लगे हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा ओवरचार्जिंग का मामला हो सकता है।
संबंधित मामले पर आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती ने अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग की है और दिल्ली सरकार से कठोर कार्रवाई करने की अपील की है।
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यह है पूरा मामला कोरोना संक्रमित होने पर मरीज को 8 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे अस्पताल से 6 सितम्बर को छुट्टी दी गई और बिल के तौर पर 1 करोड़ 80 लाख का भुगतान करने को कहा गया। विधायक सोमनाथ भारती के मुताबिक एक महिला ने कुछ दिन पहले उनसे मुलाकात की। महिला के पति को कोरोना संक्रमित होने के बाद साकेत मैक्स अस्पताल में भर्ती किया गया था। दूसरी लहर के चलते अस्पतालों में बिस्तर पाना मुश्किल हो रहा था।
लंबे-चौड़े बिल पर उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात की और पाया कि अस्पताल ने मरीज को कई दिनों तक एक्मो थैरेपी दी। खास बात यह है कि नियम के मुताबिक यह थैरेपी किसी मरीज को अधिकतम 21 दिन तक ही देने का प्रावधान है। भारती के मुताबिक कोरोना महामारीकाल में एक्मो थैरेपी पर लंबे समय तक रखने का यह अबतक का पहला मामला है।
सोशल मीडिया पर विरोध संबंधित मामला सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहा है क्योंकि विधायक सोमनाथ भारती ने सोशल मीडिया पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ विरोध जताते हुए अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सरकार से मरीज के बिल ऑडिट करने का सुझाव दिया है। वहीं कोविड-19 के तहत सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण का पालन किया गया है या नहीं, इसकी भी जांच कराने की मांग की है।यहां बता दें कि सरकार की तरफ से आईसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक के अधिकतम शुल्क निर्धारित किए गए थे।
सोशल मीडिया पर विधायक ने यह भी लिखा है कि महंगे बिल के मामले में अस्पताल प्रबंधन के शीर्ष डॉक्टर ने महिला के व्यवहार भी ठीक नहीं किया, जबकि डॉक्टर उपचार टीम में शामिल नहीं थे। महिला से कहा गया कि उनलोगों ने उनके पति की जान बचाई। ऐसे में बिल पर उलझने के बजाए उन्हें अस्पताल का आभार व्यक्त करना चाहिए।
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मरीज उपचार से संतुष्ट और बिल को लेकर आपत्ति भी नहीं की थी : मैक्स, साकेत साकेत स्थित मैक्स अस्पताल की ओर से इस मामले को लेकर कहा गया है कि 51 वर्षीय मरीज की हालत गंभीर थी। उन्हें 28 अप्रैल को इमरजेंसी वार्ड में लाया गया और 10 मई से 75 दिनों तक लगातार एक्मो थेरेपी दी गई। मरीज को डायबिटीज, उच्चरक्तचाप सहित कई अन्य क्रॉनिक और गंभीर समस्याएं भी थी।
23 जुलाई को एक्मो हटा कर मरीज को 16 अगस्त तक आईसीयू में रखा गया। मरीज को अस्पताल में चार महीने 15 दिन तक रखा गया। अस्पताल के मुताबिक एक्मो अत्याधुनिक तकनीक है जो गिने चुने अस्पतालों में ही उपलब्ध है। अस्पताल का यह भी कहना है कि मरीज उनके उपचार से संतुष्ट थे और बिल को लेकर किसी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई।
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