Wednesday, Jun 07, 2023
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Coronavirus की जांच के लिए आएंगी नई मशीनें, इटली- जापान में पहले से हो रहा इस्तेमाल

  • Updated on 3/18/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दुनिया में कोरोना वायरस (Corona virus) के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी देशों की तरह भारत भी वैक्सिन और मेडिसिन की खोज में जुटा हैं। वहीं इस वायरस की जांच के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मशीनों में भी आधुनिकता लाई गई है। भारत अब इटली और जापान की तरह अत्याधुनिक मशीनों से कोरोना वायरस की जांच करेगा। इसके लिए जल्द से जल्द भुवनेशवर और नोएडा में लैब की शुरूआत की जाएगी। 

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प्राइवेट लैब से मुफ्त इलाज की अपील
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया है कि थ्रोपुट डायग्नोस्टिक सिस्टम के तहत रैपिड दो अत्याधुन्क मशीनें लगाई जाएंगी। इन मशीनों की क्षमता की बात करें तो इनसे रोज 1400 सैंपल की जांच की जा सकती है, जिसमें 2 घंटे के अंदर कोरोना की वारयस की जांच हो जाएगी। दरअसल मौजूदा तकनीक के जरीए देश में वायरस की जांत में करीब साढ़े चार घंटे का समय लगता है। वायरस के कहर को देखते हुए आईसीएमआर ने पूरे देश में प्राइवेट लैब से कहा है कि वो लोगों का मुफ्त इलाज करें। 

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कोरोना वैक्सीन
बता दें कि कोरोना से निजात पाने के लिए सभी देश वैक्सीन और मेडिसिन की खोज में लगे हैं वहीं अमेरिका का दावा है कि उसने इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार कर लिया है। अमेरिका के सोधकर्ताओं ने सियाटल में पहले वैक्सिन का परीक्षण किया है। 

जिसे एक 43 साल की महिला को लगाया गया है। जब दुनिया के 145 देश इम महामारी से जूझ रहे हैं ऐसे समय में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ये वैक्सीन रिकॉर्ड टाइम में विकसित किया है। चीन (China) इस वैक्सीन को तैयार करने के लिए अब तक प्रयासरत है। बीमारी का पता लगने के बाद से ही चीन के केपीडब्ल्यू रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक इस वैक्सीन को बनाने का प्रयास कर रहे हैं। 

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कोरोना से लड़ने का प्रयास जारी
दुनियाभर में कोरोना वायरस का खौफ है, ऐसे में सभी देश इस वायरस का वैक्सीन तैयार करने कोशिशों में जुटे हैं। अमेरिका के सियाटल में परीक्षण करने वाली टीम की डॉक्टर लीजा जैक्सन का कहना है कि अब हम टीम कोरोना हैं। महामारी से जूझ रही दुनिया और आपातकाल के इस दौर में हर व्यक्ति अपनी ओर से जो भी प्रयास कर सकता है वो कर रहा है। उनकी टीम अब इसका परीक्षण करने में जुटी है। वैज्ञानिकों को साबित करना है कि ये वैक्सीन कारोनावायरस से लड़ने में कारगर है और इससे इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है

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