Thursday, Jun 01, 2023
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court closes 11 petitions related to gujarat riots as ''''irrelevant''''

न्यायालय ने ‘अप्रासंगिक’ बताते हुए गुजरात दंगों से जुड़ी 11 याचिकाओं को बंद किया

  • Updated on 8/30/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। गुजरात में 2002 में हुए दंगों के मामलों में स्वतंत्र जांच के लिए करीब 20 वर्ष पहले दायर 11 याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अप्रासंगिक’ बताते हुए बंद कर दिया। इनमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), तीस्ता सीतलवाड़ का सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) जैसे संगठन शामिल हैं जिन्होंने दंगों की जांच किसी अदालत की निगरानी में कराने समेत अन्य मांगों के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।   

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  प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित , न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सीजेपी की ओर से अपर्णा भट्ट समेत अनेक याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलों पर विचार किया और कहा कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है।   

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  पीठ ने व्यवस्था दी, ‘‘चूंकि सभी मामले अब अप्रांसगिक हो गये हैं, इसलिए इस अदालत की राय है कि इस अदालत को इन याचिकाओं पर अब विचार करने की जरूरत नहीं है। इसलिए मामलों का निस्तारण किया जाता है।’’ पीठ ने एसआईटी की इस दलील पर संज्ञान लिया कि उसने जिन नौ मामलों की जांच की थी, उनमें से एक ‘नरोदा गांव’ दंगा मामले में सुनवाई निचली अदालत में अंतिम स्तर पर है, वहीं अन्य मामलों में निचली अदालतों ने फैसले सुनाये हैं और वे अपील स्तर पर गुजरात उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत में लंबित हैं।   

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