Friday, Jun 09, 2023
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court refuses to order counseling again for neet super-specialty courses

नीट सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों के लिए फिर काउंसलिंग का आदेश देने से कोर्ट का इनकार

  • Updated on 6/16/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के 2021 के सुपरस्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग का एक और ‘मॉप-अप राउंड’ आयोजित करने के लिये केंद्र सरकार, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक एवं अन्य को निर्देश देने संबंधी याचिकाओं पर विचार करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। नीट के पहले और दूसरे चरण की काउंसलिंग के बाद बाकी बचे सीट को ‘मॉप-अप राउंड’ के जरिये भरा जाता है। याचिकाकर्ताओं ने एक और ‘मॉप-अप राउंड’ का अवसर देने की गुहार लगाई थी। 

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न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अवकाशकालीन पीठ ने दो डॉक्टरों की इन दलीलों पर सहमति नहीं जताई जिसमें कहा गया था कि सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक और मॉप-अप राउंड आयोजित किया जाए, क्योंकि बाद में 92 नयी सीट जोड़ी गईं, जो पहले और दूसरे चरण की काउंसलिंग में उनके लिए उपलब्ध नहीं थीं। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, ‘‘इस चरण में हमें (नौ मई के) आदेश में बदलाव को कोई कारण नहीं दिखता है।’’ 

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शंकरनारायणन ने दलील दी, ‘‘ ‘मॉप-अप राउंड’ में अचानक अतिरिक्त 92 सीट जोड़ी गईं और इसके परिणामस्वरूप हमसे (याचिकाकर्ताओं से) नीचे रैंक वाले अभर्थियों को सीट आवंटित की गयी, जो हमलोगों के लिए उपलब्ध नहीं थीं।’’ हालांकि पीठ ने कहा, ‘‘हम इस चरण में इसे (पूर्व के आदेश को) संशोधित करना नहीं चाहते। क्षमा करें।’’ शीर्ष अदालत ने गत नौ मई को नीट सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए ‘कट-ऑफ पर्सेंटाइल’ कम करने से इनकार करते हुए कहा था कि चिकित्सकों को एक मरीज का जीवन बचाना होता है और ऐसे में मेधा की अवहेलना नहीं की जा सकती है। 

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पीठ ने कहा था कि पर्सेंटाइल को कम न करने का फैसला लिया गया है जो अकादमिक नीति का मामला है और इसमें गलती नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा था कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बताए गए कारणों को असंगत और मनमाना नहीं माना जा सकता, क्योंकि ‘‘चिकित्सकों को एक मरीज का जीवन बचाना होता है और (ऐसे में) मेधा की अवहेलना नहीं की जा सकती।’’ 

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