नई दिल्ली/नई डिजिटल। कोरोना काल (Corona) के दौरान सबसे ज्यादा अगर किसी तबके को नुकसान हुआ है तो वो है देश का गरीब और मजदूर तबका। देश में कोरोना काल के बीच लॉकडाउन लगाया गया जिससे गरीब और मजदूरों की कमर टूट गई।
लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों का रोजगार चला गया। इस दौरान मनरेगा (Mgnrega) में प्रवासी मजदूरों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए अपने जॉब कार्ड बनवाए। इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें मनरेगा में शामिल होने के लिए रिकॉर्ड तोड़ बढ़त देखी गयी।
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दरअसल, रिपोर्ट में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों के दौरान मनरेगा में 83 लाख से ज्यादा परिवारों को नए जॉब कार्ड दिए गए। इस समयावधि के बीच यानी 1 अप्रैल से 3 सितंबर के बीच जो आंकड़े सामने आये हैं उन्होंने पिछले 7 सालों की सालाना बढ़ोत्तरी से ज्यादा है।
In a clear sign that MGNREGA has emerged as a safety net for lakhs amid Covid-19, over 83 lakh new households have been issued job cards under the scheme. pic.twitter.com/b1PJPURyye — Poonamben Maadam (@PoonambenMaadam) September 4, 2020
In a clear sign that MGNREGA has emerged as a safety net for lakhs amid Covid-19, over 83 lakh new households have been issued job cards under the scheme. pic.twitter.com/b1PJPURyye
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 में 64.70 लाख नए जॉब कार्ड जारी हुए थे। जो पिछले साल की अपेक्षा 28.32 प्रतिशत की बढ़त है। इन जॉब कार्डों में सबसे ज्यादा कार्ड उत्तर प्रदेश में जारी किए गए थे। जिसकी संख्या 21.09 लाख थी।
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इसके बाद बिहार का नंबर आता है जहां 11.22 लाख कार्ड जारी किए गए। इसके बाद, पश्चिम बंगाल में 6.82 लाख, राजस्थान में 6.58 लाख और मध्य प्रदेश में 5.56 लाख लोगों को जॉब कार्ड दिए गए। इन सभी में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर शामिल रहे जो लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों को लौटे और मनरेगा में शामिल हुए।
बताते चले कि ये जॉब कार्ड धारक व्यक्ति मनरेगा के तहत काम दिए जाने का हकदार होता है। इस जॉब कार्ड में व्यक्ति के परिवार का पूरा ब्योरा लिखा होता है। इसमें परिवार के उन लोगों के नाम भी शामिल होते हैं जो मनरेगा के तहत काम करना चाहते हैं।
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वहीँ, मनरेगा के नियमों के मुताबिक, अगर किसी जॉब कार्ड धारक अपने परिवार समेत किसी स्थायी रहनवारी के लिए शहर चला जाता है या किसी दूसरे गांव या ग्राम पंचायत में चला जाता है तो उसका जॉब कार्ड रद्द किया जा सकता है।
इस बारे में भी रिपोर्ट में आंकड़े जारी किये गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस चालू वित्त वर्ष में अब तक 10.39 लाख नरेगा जॉब कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। जबकि साल 2019-20 में 13.97 लाख कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। जबकि देश में 3 सितंबर, 2020 तक जॉब कार्डों की जमा संख्या 14.36 करोड़ है।
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