नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन (Vaccination) की शुरुआत हो चुकी है। अब तक यहां पर 600 लोगों पर ही वैक्सीन का दुष्प्रभाव देखा गया है, जो कि दुनिया के बाकी देशों की तुलना में बहुत कम है। वहीं डॉक्टर्स पहले ही कह चुके हैं कि वैक्सीन लगने के बाद सुईं लगने के स्थान पर दर्द होना, बुखार आना ये लक्षण सामान्य हैं। किसी भी टीके के बाद इस प्रकार के हल्के दुष्प्रभाव सामने आते हैं।
600 में से 82 लोगों पर बुधवार को दुष्प्रभाव सामने आए। अब तक 6 राज्य ऐसे हैं जहां वैक्सीन लगने के बाद दिखे दुष्प्रभावों के कारण 10 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। वहीं राहत की बात ये है कि इनमें से 7 को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है।
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दिल्ली में 4 लोगों पर दिखा दुष्प्रभाव वहीं अगर दिल्ली की बात करें तो वैक्सीन लगने के बाद 4 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया, वहीं एक स्वास्थ्यकर्मी को राजीव गांधी अस्पताल में अंडर ऑब्जरवेशन रखा गया है। कर्नाटक में दो लोगों को अंडर ऑब्जरवेशन रखा गया है। वहीं राजस्थान, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, और पश्चिम बंगाल में एक एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती किया गया है।
राजनीकित कारण से वैक्सीन का दुष्प्रचार: डॉ हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का कहना है कि हमारे देश में कल तक क़रीब 8 लाख लोगों को टीका लग गया, उनमें गिनती के लोगों को साइड इफेक्ट हुए हैं जो साधारण तौर पर सामान्य वैक्सीन में होते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि देश में कुछ लोग जानबूझकर केवल राजनीतिक कारणों से वैक्सीनेशन के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं। इससे समाज के एक छोटे वर्ग में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा हुई है। सरकार चाहती है कि जिन लोगों के मन में दुष्प्रचार के कारण गलतफहमी हुई है, उनको भी वैक्सीन नहीं लेने के कारण कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।
स्वास्थ्यकर्मियों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट वहीं डॉ वी के पॉल ने जो टीकाकरण प्रशासन पर उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख है ने कहा टीकाकरण अभियान को और तेज किया जाएगा, जो भी वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराएंगे, हम सुनिश्चित करेंगे कि वे अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंचें। यह जल्द ही किया जाएगा। उन्होंने कहा भारत में वैक्सीन को स्वास्थ्य देखभाल और सीमावर्ती श्रमिकों के लिए प्राथमिकता दी जा रही है।
हालांकि बावजूद इसके अगर उनमें से कुछ इसे लेने में संकोच करते हैं, खासकर डॉक्टर और नर्स जो कि निराशाजनक है। हम नहीं जानते कि महामारी क्या मोड़ लेगी, हमें अपनी गैर-कोविद सेवाएं शुरू करनी होंगी। कुछ ही दिनों में भारत ने अपने सभी स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों का टीकाकरण करने की योजना बनाई है, किसी भी भ्रम की स्थिति में यह ठीक नहीं है, स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों के बीच टीका झिझक समाप्त होनी चाहिए।
दिल्ली में वैक्सीन को लेकर जागरुकता अभियान वहीं दिल्ली में भी अब टीकाकरण को लेकर लोगों को प्रेरित करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए अब स्वास्थ्य दूत तैनात किए जाएंगे। इसके लिए हर जिले में तैयारी की जा रही है। अस्पतालों में इन स्वास्थ्य दूतों को तैनात किया जाएगा जो वैक्सीन से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करके लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके साथ ही दिल्ली के सभी अस्पतालों के विभागाध्यक्ष और प्रमुख डॉक्टरों से भी अपील की जा रही है कि वो आगे आकर कोरोना का टीका लगवाएं ताकि उनको देख लोगों में भी वैक्सीन लगवाने की प्रेरणा जागे।
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दिल्ली में 20 या इससे कम स्वास्थ्यकर्मी प्रतिदिन लगा रहे टीका यहां बता दें कि दिल्ली के अस्पतालों में रोजाना 100 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अस्पताल में 1 दिन में केवल 20 या इससे कम स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवा रहे हैं। दोनों ही विशेषज्ञों ने कहा है कि अगर स्वास्थ्यकर्मियों को टीका नहीं लगेगा तो समाज में वैक्सीन को लेकर गलत संदेश जाएगा। लोगों में भ्रम की स्थिति और भी बढ़ जाएगी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि वैक्सीन का हजारों लोग पर परीक्षण किया गया है क्या वह इंसान नहीं है? उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के परीक्षण के परिणाम फरवरी में प्रकाशित होने की संभावना है। वहीं डॉक्टर अरुण गुप्ता ने कहा कि वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी विकसित होने में 2 महीने लग सकते हैं।
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