नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। रियल्टी कंपनियों के शीर्ष निकाय कनडेरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में बढ़ोतरी नहीं करने का अनुरोध किया है। उसने कहा कि इससे बिल्डरों और ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा जिससे घरों की बिक्री प्रभावित होगी।
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अमेरिका समेत ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंक दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं, इसके अलावा घरेलू स्तर पर खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, ऐसे में उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई छह अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला ले सकता है। क्रेडाई ने आरबीआई से अनुरोध किया कि रेपो दर में और वृद्धि नहीं की जाए क्योंकि इससे दाम बढ़ेंगे और आवास ऋण की दरों में वृद्धि से बिक्री प्रभावित होगी।
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उसने कहा कि बीते एक साल में रेपो दर चार से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है और इसमें एक और वृद्धि से कर्ज और भी महंगा हो जाएगा। क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्ष वर्धन पटौदिया ने कहा, ‘‘बीते एक साल में, आरबीआई द्वारा रेपो दरों में वृद्धि करने से निर्माण लागत बहुत तेजी से बढ़ी है, इससे वित्तीय संकट से पार पाने के लिए संघर्ष कर रहे डेवलपर की परेशानी बढ़ गई है। रेपो दरों में और वृद्धि करने से कुछ परियोजनाएं पूरी करना वित्तीय रूप से कठिन हो जाएगा और आवास की ऋण दरें सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचने से घर खरीदार भी पीछे हट जाएंगे।''
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निकाय ने कहा कि इससे रियल एस्टेट बाजार में नरमी आ जाएगी। यह कोविड के बाद के रूझान के उलट होगा जब घरों की खरीद में तेजी आई थी। हाउसिंग डॉट कॉम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई रेपो दर में मामूली बढ़ोतरी कर सकता है और 2023 के अंत तक दरों में वृद्धि बंद भी हो सकती है।
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उन्होंने कहा कि इस कदम का रियल एस्टेट की मांग पर सीमित असर होगा क्योंकि घर खरीदने का फैसला सिर्फ आवास ऋण की दरों पर निर्भर नहीं करता, इसके पीछे कई अन्य कारक भी होते हैं। रियल्टी कंपनी सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल कहते हैं कि दरों में वृद्धि से आवास ऋण की ब्याज दर 10 प्रतिशत के पार चली जाएगी जो खरीदारों की भावनाओं को प्रभावित करेगा।
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