Sunday, Mar 26, 2023
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crop protection chemicals myth vs truth acfi kicks off debate

फसल सुरक्षा कैमिकल्स : मिथ बनाम सच्चाई पर ACFI ने छेड़ी बहस

  • Updated on 1/12/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। एग्रो चेम फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI) ने देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार को 'फसल सुरक्षा कैमिकल्स : मिथ बनाम सच्चाई' विषय पर चर्चा का आयोजन किया। इसकी खास बात यह थी कि परिर्चचा के पैनल में महिला विशेषज्ञों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। एफएमसी इंडिया की रेगुरेटरी हैड दीपा बत्रा कथूरिया ने जहां 'फसल सुरक्षा में इस्तेमाल हो रहे कैमिकल्स से जुड़े मिथकों पर प्रकाश डाला, वहीं इंटरनेशनल एडवोकेयर में लेटिगेश हैड वकील ममता रानी झा ने कैमिकल्स और पेस्टिसाइड से जुड़े कानूनी पहलुओं पर अपनी बातें रखी। 


इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मीदेवी ए. और कॉल्मिनिस्ट डॉक्टर कुंतला सेनगुप्ता ने कैमिकल्स इंडस्ट्री से जुड़ी खामियों और उसके समाधान से जुड़े तथ्य रखें। पत्रकार लक्ष्मीदेवी ने कहा भारत में कैमिकल्स और पेस्टिसाइड इंडस्ट्री उतनी विकसित और एकजुट नहीं हैं, जितनी विदेशों में है। इसलिए भारतीय पेस्टिसाइड इंडस्ट्री सरकार पर शोध और सहायता के लिए दबाब नहीं बना पाती है। 

दूसरी ओर डॉक्टर किरण के. खोखर ने खेतिहारी मिट्टी के परीक्षण और ऑरगेनिक फार्मिंग से जुड़े विषयों पर लोगों का ज्ञानवर्धन किया। सोनाली पटनायक ने बताया कि ऑरगेनिक फार्मिंग भी कैमिकल्स इस्तेमाल के बिना संभव नहीं है। इसलिए ऑरगेनिक प्रोड्क्ट्स को बेस्ट मान लेना भी ठीक नहीं है। दूसरी ओर अनुपमा मिशन रिसर्च फाउडेशन की डायरेक्टर सोनाली पटनायक ने कहा कि आज देश में कीटनाशकों को लेकर जागरुकता अभियान चलाने की जरुरत है। रसायन उद्योग को सामाजिक दायित्व निभाते हुए पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियो पर जोर देना होगा। 

इससे पहले एफएमसी इंडिया की रेगुरेटरी हैड दीपा बत्रा कथूरिया ने कैमिकल्स और पेस्टिसाइड से जुड़े मिथकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेती में इस्तेमाल हो रहे कीटनाशकों से केंसर नहीं होता है और ना ही कीटनाशकों के गलती से संपर्क आने से मानव को बड़ा खतरा है। महिला एक्सपर्ट ने कहा कि पानी के दूषित होने में कीटनाशकों का रोल बेहद कम है। वहीं, किसानों की आत्महत्या की वजह में कीटनाशकों और रसायन का रोल नहीं है। 

बता दें कि एग्रो चेम फेडरेशन ऑफ इंडिया पूरे देश में कीटनाशक के बनाने, आयात करने और उसकी बिक्री से जुड़ी नीतियों के निर्धारण में अहम भूमिका निभाती है। इसके चैयरमैन परीक्षित मुंधरा का कहना है कि एग्रो चेम फेडरेशन ऑफ इंडिया पूरी भारतीय फसल संरक्षण रसायन उद्योग की आवाज है और यह नीतियों को बनाने में खासा हस्तक्षेप भी करती है। वहीं

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