नई दिल्ली/पुष्पेंद्र मिश्र। गांव की परंपरा, धरोहर का संरक्षण होना जरूरी है। इसीलिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा आईजीएनसीए को गांवों की कल्चरल मैपिंग का जिम्मा दिया गया है। इस योजना को आईजीएनसीए ने ‘मेरा गांव-मेरी धरोहर’ नाम दिया है। इस योजना के जरिए देश के 6.5 लाख गांवों की संस्कृति की दृष्टि से मैपिंग की जाएगी। जिसमें देखा जाएगा कि वहां कौन-कौन सी परंपराएं हैं, कौन से विशेष स्थान हैं, पुरातात्विक महत्व की कौन सी चीजें हैं? रहन-सहन कैसा है। खान पान कैसा है? अमुक गांव में कौन से विशिष्ट मंदिर या पूजनीय स्मारक हैं। कौन से महान लोग वहां जन्मे हैं जिन्होंने भारत के उन्मेष में, स्वतंत्रता में हिस्सा लिया आदि। इसी तरह से हर गांव की एक कहानी है। जिसकी मैपिंग प्रक्रिया पायलट चरण के तहत शुरू कर दी गई है।
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पायलट चरण में 750 गांवों का पूरा डॉक्यूमेेंटेशन किया गया है तैयार यह जानकारी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के दूसरी बार सदस्य सचिव नियुक्त किए गए डॉ. स"िादानंद जोशी ने दी। उन्होंने कहा कि पायलट चरण में शुरू हुई इस कल्चरल मैपिंग में अभी तक 750 गांवों का पूरा डॉक्यूमेंटेशन और वीडियो डॉक्यूमेंटेशन करके बहुत जल्दी प्रस्तुत किया जाएगा। इसी क्रम में आईजीएनसीए ने केंद्र सरकार से कल्चरल अर्काइविंग के दूसरे चरण का कार्य शुरू करने के लिए अनुमति मांगी है। कल्चरल अर्काइविंग के पहले चरण का काम पूरा कर लिया गया है।
आईआईटी दिल्ली ने कम लागत वाले भूकंप रोधी ब्रेसिज विकसित किए लालकिले में होगा आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिजाइन योजना का आयोजन शिल्पकार और कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिजाइन योजना को शुरू किया जा रहा है। इसका आधार कार्य हो चुका है। इसमें शिल्पकार को हम डिजाइनर के साथ मिलवा रहे हैं। ताकि उनके शिल्प में डिजाइनर अपने हिसाब से थोड़ी वृद्धि करके उसको और अधिक मार्केट की आवश्यकता के हिसाब से तैयार कर सकें। इस योजना में शिल्पकारों के साथ एक प्रबंधन व मार्केट के एक्सपर्ट्स को जोड़ा जाएगा जो मार्केटिंग कर सकें। इस योजना के जरिए संस्कृति को अर्थव्यवस्था से जोडऩे का काम किया जाएगा। यह आयोजन दिल्ली के लालकिले में होगा।
अब बच्चों का मूल्यांकन अभिभावक व दोस्त भी कर सकेंगेः अनुराग त्रिपाठी 75 विषयों पर आईजीएनसीए कराएगा शोध आईजीएनसीए ऐतिहासिक धरोहर व संस्कृति से जुड़े ऐसे 75 विषयों को ढूंढ़ रहा है। जिनपर सामान्य समझ के व्यक्ति को दी जा सकने वाली उपयुक्त जानकारी जुटाई जाएगी। जैसे काल की गणना की अवधारणा क्या है। ग्रहों की अवधारणा क्या है। ऋतुओं का भारतीय संस्कृति में क्या सैद्धांतिक पक्ष है आदि पर काम किया जाएगा। इस कार्य को करने के लिए संबंधित विषय में ज्ञान रखने वाले रिसर्चर को रखा जाएगा। जो ऐसी पुस्तकों को लिख सकें।
एनएसडी में 26 से शुरू होगा ए डॉल्स हाउस नाटक का मंचन सीता माता के 75 चित्रों से युवा पीढ़ी समझेगी महत्व सीता माता के दर्शन का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। उसको जन जन तक पहुंचाने के लिए देवी सीता पर 75 चित्रों का एक कैटलॉग तैयार कराया जा रहा है। जिसमें हर चित्र की एक अलग कहानी है। इस कैटलॉग को पूरे भारत में वर्ष भर के अंदर पहुंचाया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत इसमें 75 चित्रों का चुनाव किया जा रहा है। ताकि अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों, स्कूल कॉलेजों में ये कैटलॉग पहुंचाए जा सकें। इससे युवा पीढ़ी के बच्चों को सीता माता का महत्व समझाया जाएगा।
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आईजीएनसीए का लोकतांत्रीकरण कर जन सामान्य तक ले जाया जाएगा सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि वह आईजीएनसीए का लोकतांत्रीकरण करना चाहते हैं। ताकि जन सामान्य तक यह कला केंद्र पहुंच सके। इसी प्रक्रिया में काम किया जा रहा है। हमें आने वाले वर्षों में कला व संस्कृति के क्षेत्र में जो ठोस अकादमिक काम वह करना है। जैसे कला संस्कृति हमारे जीवन की शैली में संसाधन के रूप में कैसे आए, कैसे हमारी पारंपरिक कलाएं जीवित रहें? हमारे पारंपरिक विचार और संस्कृति कैसे हमारे जीवन में आरूण हो सके। नई पीढ़ी कैसे भारतीय संस्कृति की ओर उन्मुख हो सके आदि के लिए काम किया जाएगा।
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