नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में शुरू हुए घमासान के बाद डायरेक्टर आलोक वर्मा द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीवीसी के हवाले कर दिया है। वरिष्ठ वकील एफ एस नरीमन ने सीबीआई प्रमुख की ओर से दलीलें रखते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजीआई के पैनल वाली चयन समिति की मंजूरी से की गई।
नरीमन ने सीवीसी और केंद्र सरकार द्वारा वर्मा के अधिकार छीनने का हवाला दिया। उन्होंने वर्मा की याचिका के पक्ष में विनीत नारायण के फैसले का भी हवाला दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आरोप और प्रत्यारोपों पर सीवीसी की जांच अदालत की निगरानी में 10 दिन के भीतर पूरी की जानी चाहिए। केंद्र सरकार और सीबीआई सीवीसी की सीलबंद रिपोर्ट 10 दिन के भीतर अदालत में पेश करेंगे।
और समय की मांग करते हुए सीवीसी ने कहा कि सीबीआई मामले की जांच के लिए 10 दिन पर्याप्त नहीं है क्योंकि उसे कई दस्तावेज देखने हैं जिसे सुप्रीम कोर्ट ने तरजीह नहीं दिया। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक सीवीसी जांच की निगरानी करेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज की याचिकाओं पर सीबीआई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। यह फैसला उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा की याचिका पर दिया जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा उनके अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजने के आदेश को चुनौती दी थी।
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15 अक्टूबर को शुरू हुआ मामला 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई। उनके ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने एक कारोबारी से दो करोड़ रुपए की रिश्वत ली। दरअसल मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के तहत जांच के दायरे में थे। ये पैसे इसलिए दिए गए ताकि जांच को प्रभावित किया जाए।
इस मामले की अगुवाई अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रकम देने की। ये एफआईआर सीबीआई ने बिचौलिया मनोज की गिरफ्तारी के बाद दर्ज की थी। मनोज ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में अस्थाना को दो करोड़ रुपये की रकम देने की बात कही थी।
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राकेश अस्थाना ने लगाए आलोक वर्मा पर आरोप सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने कहा कि उन्हें फसाने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि एजेंसी के प्रमुख आलोक कुमार वर्मा अपने आपराध को छिपाने के लिए उन्हें फंसा रहे हैं। मामले को देखते हुए डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया था। इसके बाद वर्मा की जगह ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर का पद दिया गया।
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